
प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला, (मध्य प्रदेश)
********************
वर्धमान महावीर को, सौ-सौ बार प्रणाम।
जैन धर्म का कर सृजन, रचे नवल आयाम।।
तीर्थंकर भगवान ने, फैलाया आलोक।
परे कर दिया विश्व से, पल में सारा शोक।।
महावीर ने जीतकर, मन के सारे भाव।
जीत इंद्रियाँ पा लिया, संयम का नव ताव।।
कुंडग्राम का वह युवा, बना धर्म दिनमान।
रीति-नीति को दे गया, वह इक चोखी आन।।
वर्धमान साधक बने, और जगत का मान।
जैनधर्म के ज्ञान से, किया मनुज-कल्याण।।
पंच महाव्रत धारकर, दिया जगत को सार।
करुणा, शुचिता भेंटकर, हमको सौंपा प्यार।।
जैन धर्म तो दिव्य है, सिखा रहा सत्कर्म।
धार अहिंसा हम रखें, कोमलता का मर्म।।
तीर्थंकर चोखे सदा, धर्म प्रवर्तक संत।
अपने युग से कर गए, अधम काम का अंत।।
मातु त्रिशला धन्य हैं, दिया अनोखा लाल।
जो करके ही गया, सच में बहुत कमाल।।
आओ ! हम सत् मार्ग के, बनें पथिक अति ख़ूब।
मानवता की खोज में, जाएँ हम सब डूब।।
जन्म : २५-०९-१९६१
निवासी : मंडला, (मध्य प्रदेश)
शिक्षा : एम.ए (इतिहास) (मेरिट होल्डर), एल.एल.बी, पी-एच.डी. (इतिहास)
सम्प्रति : प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष इतिहास/प्रभारी प्राचार्य शासकीय जेएमसी महिला महाविद्यालय
प्रकाशित रचनाएं व गतिविधियां : पांच हज़ार से अधिक फुचकर रचनाएं प्रकाशित
प्रसारण : रेडियो, भोपाल दूरदर्शन, ज़ी-स्माइल, ज़ी टी.वी., स्टार टी.वी., ई.टी.वी., सब-टी.वी., साधना चैनल से प्रसारण।
संपादन : ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं/विशेषांकों का सम्पादन। एम.ए.इतिहास की पुस्तकों का लेखन
सम्मान/अलंकरण/ प्रशस्ति पत्र : देश के लगभग सभी राज्यों में ७०० से अधिक सारस्वत सम्मान/ अवार्ड/ अभिनंदन। म.प्र.साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी अवार्ड (५१०००/ रु.)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।
आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻
आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 hindi rakshak manch 👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें….🙏🏻.