
अंजनी कुमार चतुर्वेदी “श्रीकांत”
निवाड़ी (मध्य प्रदेश)
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आदिशक्ति अति रूप मनोहर,
माँ कूष्मांडा ने पाया।
दिवस चतुर्थ परम पावन है,
जन-जन मन हरसाया।
अष्टभुजा माँ पूजी जाती,
नवदुर्गा चौथे दिन।
पापी दुष्टी और निशाचर,
संघारे माँ अनगिन।
शेर सवारी करती हैं माँ,
सबके दुख हरतीं हैं।
अपने भक्तों के जीवन में,
माँ मंगल करतीं हैं।
है स्वरूप तेजोमय माँ का,
बल आरोग्य प्रदाता।
अष्टभुजी माँ का स्वरूप यह,
सारे जग को भाता।
रोग शोक भय कष्ट मिटाती,
धन संपन्न बनाती।
माँ के चरणों में नत होकर,
दुनिया खैर मनाती।
काजल चूड़ी बिंदी पायल,
माँ को सभी चढ़ाएं।
कंघी दर्पण देकर माँ को,
सुख सौभाग्य बढ़ाएं।
मालपुआ अति प्रिय माता को,
हलवा भी चढ़ता है।
माता की सेवा से सब का,
जन धन भी बढ़ता है।
आदि शक्ति कूष्मांडा माता,
सृष्टि की निर्माता।
जो आता है शरण तुम्हारी,
रोग मुक्त हो जाता।
मंडल सौर निवासी हे माँ,
जग की पालनकर्ता।
शत-शत नमन करूँ मैं तुमको,
रोग शोक दुखहर्ता।
चरण-शरण जो आता माँ की,
धन-यश-वैभव पाता।
मालपुआ जो अर्पित करता,
नीरोगी हो जाता।
परिचय :– अंजनी कुमार चतुर्वेदी “श्रीकांत”
निवासी : निवाड़ी (मध्य प्रदेश)
शिक्षा : एम.एस.सी एम.एड स्वर्ण पदक प्राप्त
सम्प्रति : वरिष्ठ व्याख्याता शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय क्रमांक २ निवाड़ी
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
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