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अंतिम ईच्छा

श्रीमती क्षिप्रा चतुर्वेदी
लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
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अंतिम ईच्छा
एक जीव एक जीवन की

सुनो अगर कभी
जो सुनना चाहो
मेरे दबे छुपे
शब्दों की आवाज,
गहराई में डूबी सी
ध्वनि का आभास!

मैंने कभी कुछ
नहीं चाहा तुमसे,
ना कभी माँगा
तुम सलामत रहना
इस सृष्टि के होने तक
मेरे दिल मे मेरी आत्मा मे
मेरी अठखेलियों में
मेरी पवित्रता भरी
मुस्कराहट में
मेरी आँखों की नमी में

मेरी उठती गिरती सांसो में
जिनमे हर पल तुम्हारा
नाम लिखा होगा
मेरी पीड़ा मेरी सिसकियों में
जो मैं नहीं समझ सका,
किसने और क्यों दिए ??
ना जाने कितने
घाव छुपे हैं इनमे!

मेरी अन्तरात्मा
में एक द्वंद
चल रहा, नहीं
जानता कब से,
क्यूं प्रताडित होता
रहा जीवन भर??
क्यों मेरा अस्तित्व
प्रश्न चिन्ह सा
बना रहा सदैव??

मेरे होने मेरे
ना होने पर ,
सब कुछ
परमात्मा में विलीन
हो जायेगा सदा के लिए
किन्तु तुम रहना …
पूजा और इबादतों मे

परिचय :- श्रीमती क्षिप्रा चतुर्वेदी
पति : श्री राकेश कुमार चतुर्वेदी
जन्म : २७ जुलाई १९६५ वाराणसी
शिक्षा : एम. ए., एम.फिल – समाजशास्त्र, पी.जी.डिप्लोमा (मानवाधिकार)
निवासी : लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
सम्मान : राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर द्वारा “जीवदया अंतर्राष्ट्रीय सम्मान २०२४” से सम्मानित
विशेष : साहित्यिक पुस्तकें पढ़ने के शौक ने लेखन की प्रेरणा दी और विगत ६-७ वर्षों से अपनी रचनाधर्मिता में संलग्न हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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