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आओ, संस्कारों से संक्रमण मिटाएँ

डॉ. किरन अवस्थी
मिनियापोलिसम (अमेरिका)

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हम सब भारत के वीर सिपाही
भारत माँ के प्रति नतमस्तक हों

अपना तन मन और जीवन
भारत माँ को समर्पित हो।

हम भारत के वीर सेनानी
अपना भूगोल समझ में आता है

जो करे देश से ग़द्दारी
उसको भी झुकाना आता है।

बढ़ा प्रदूषण संस्कारों में
उसे सम्भालने आगे आएँ

जो दूषित हुए संस्कार
वो स्वच्छ बनाने आगे आएँ।

हम भारत माँ के रक्षक हैं
भ्रष्टाचार नहीं चलने देंगे

भ्रष्टाचारी ग़द्दार देश के
मशाल न उनकी जलने देंगे।

लोभ मोह की सत्ता ने
हमको लाचार बना डाला

इसी मोहवश भारत को
जयचंदों का आगार बना डाला।

इस लोभ मोह को अब
और न बढ़ने देंगे

लालच के भूखे भेड़ों की
अब और नहीं चलने देंगे।

गाथा यह प्रण लेने
और जगाने भारत का जनमन

अपना मन स्वच्छ बनाकर
भारत माँ को अर्पित तन मन।

हम स्वच्छ स्वयं हो जाएँ
मन का भ्रष्टाचार मिटाने का प्रण लें

और और की चाह, ललक को
पूरे भारत से मिटाने का प्रण लें।

भ्रष्टाचार मिटाने का प्रण लें
सुसंस्कृत संस्कारों से

संक्रमण मिटाने का प्रण लें
भ्रष्टाचारी कैंसर दूर भगाने का प्रण लें।

परिचय :- डॉ. किरन अवस्थी
सम्प्रति : सेवा निवृत्त लेक्चरर
निवासी : सिलिकॉन सिटी इंदौर (मध्य प्रदेश)
वर्तमान निवासी : मिनियापोलिस, (अमेरिका)
शिक्षा : एम.ए. अंग्रेजी, एम.ए. भाषाविज्ञान, पी.एच.डी. भाषाविज्ञान
सर्टिफिकेट कोर्स : फ़्रेंच व गुजराती।
पुनः मैं अपने देश को बहुत प्यार करती हूं तथा प्रायः देश भक्ति की कविताएं लिखती हूं जो कि समय की‌ मांग भी‌ है। आजकल देशभक्ति लुप्तप्राय हो गई है। इसके पुनर्जागरण के लिए प्रयत्नशील हूं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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