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युवा दिवस

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला, (मध्य प्रदेश)
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स्वामी जी थे युगपुरुष, संस्कारों की शान।
जो कायम करके गए, गति-मति के सँग आन।।

विश्व सभा में छा गए, फैलाया आलोक।
मूल्य सनातन की चमक, कौन सकेगा रोक।।

युवा चेतना की दमक, युगों रहे बन इत्र।
समझ रहे हैं हम सभी, बनकर मानव मित्र।।

आज जयंती पर दिखा, फिर से नवल विवेक।
आओ! हम निश्चित बनें, अब से मानव नेक।।

सकल विश्व में गूँजता, स्वामी जी का नाम।
बने चेतना के पुरुष, मौलिकता के धाम।।

मूल्य सनातन श्रेष्ठतम, हुआ वेग में सत्य।
स्वामी जी का यश हुआ, मानो हो आदित्य।।

परिचय :- प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे
जन्म : २५-०९-१९६१
निवासी : मंडला, (मध्य प्रदेश)
शिक्षा : एम.ए (इतिहास) (मेरिट होल्डर), एल.एल.बी, पी-एच.डी. (इतिहास)
सम्प्रति : प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष इतिहास/प्रभारी प्राचार्य शासकीय जेएमसी महिला महाविद्यालय
प्रकाशित रचनाएं व गतिविधियां : पांच हज़ार से अधिक फुचकर रचनाएं प्रकाशित
प्रसारण : रेडियो, भोपाल दूरदर्शन, ज़ी-स्माइल, ज़ी टी.वी., स्टार टी.वी., ई.टी.वी., सब-टी.वी., साधना चैनल से प्रसारण।
संपादन : ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं/विशेषांकों का सम्पादन। एम.ए.इतिहास की पुस्तकों का लेखन
सम्मान/अलंकरण/ प्रशस्ति पत्र : देश के लगभग सभी राज्यों में ७०० से अधिक सारस्वत सम्मान/ अवार्ड/ अभिनंदन। म.प्र.साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी अवार्ड (५१०००/ रु.)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।

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