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कुछ लोग

हितेश्वर बर्मन ‘चैतन्य’
डंगनिया, सारंगढ़ (छत्तीसगढ़)
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कुछ लोग ऐसे होते हैं,
जो मरकर भी जिंदा रहते हैं।
तो कुछ ऐसे भी होते हैं,
जो जीवनभर निंदा करते हैं।।

कुछ लोग ऐसे होते हैं,
जो जीवन में आदरणीय होते हैं।
तो कुछ ऐसे भी होते हैं,
जो महत्वहीन निंदनीय होते हैं।।

कुछ लोग ऐसे होते हैं,
जो हमेशा आंखों में बसते हैं।
तो कुछ ऐसे भी होते हैं,
जो आंखों में खटकते हैं।।

कुछ लोग ऐसे होते हैं,
जो मरकर भी आभास होते हैं।
तो कुछ ऐसे भी होते हैं,
जो जिंदा होकर भी लाश होते हैं।।

कुछ लोग ऐसे होते हैं,
जो अपने सपने पूरा कर दिखाते हैं।
तो कुछ ऐसे भी होते हैं,
जो सपने ही नहीं देख पाते हैं।।

कुछ लोग ऐसे होते हैं,
जो किसी को अपने वश में करते हैं।
तो कुछ ऐसे भी होते हैं,
जो खुद दूसरों के वश में रहते हैं।।

कुछ लोग ऐसे होते हैं,
जो भाग्य बदलकर सपने साकार करते हैं।
तो कुछ ऐसे भी होते हैं,
जो भाग्य के भरोसे अंधकार में रहते हैं।।

परिचय :-  हितेश्वर बर्मन ‘चैतन्य’
निवासी : डंगनिया, जिला : सारंगढ़ – बिलाईगढ़ (छत्तीसगढ़)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।

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