अशोक कुमार यादव
मुंगेली (छत्तीसगढ़)
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अज्ञान अंधकार को दूर करके,
ज्ञान की ज्योति मन में जलानी है।
जिंदगी हर पल एक महा उत्सव,
मिलजुल कर दिवाली मनानी है।।
जगमग-जगमग जल रहे नन्हें दीये,
धरती में मणि प्रकाश की आभा है।
पटाखे की ध्वनि से गूँज रहा संसार,
नीले नभ को छूने की आकांक्षा है।।
सत्य के सामने असत्य की हार होगी,
तू सत्य की राह में निरंतर कदम बढ़ा।
जीत तुम्हारे इंतजार में राह देख रही,
हताशा और निराशा को सुदूर भगा।।
रोशनी का त्यौहार, खुशियों की बहार,
होती रहे धन वर्षा, होती रहे तरक्की।
जीवन में सफलता चुमे आपके कदम,
दीपावली में मिलती रहे खूब समृद्धि।।
निवासी : मुंगेली, (छत्तीसगढ़)
संप्राप्ति : शिक्षक एल. बी., जिलाध्यक्ष राष्ट्रीय कवि संगम इकाई।
प्रकाशित पुस्तक : युगानुयुग
सम्मान : मुख्यमंत्री शिक्षा गौरव अलंकरण ‘शिक्षादूत’ पुरस्कार से सम्मानित, उत्कृष्ट शिक्षक सम्मान, छत्तीसगढ़ हिन्दी रत्न सम्मान, अटल स्मृति सम्मान, बेस्ट टीचर अवॉर्ड।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
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