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देखिए अनंत

मीना भट्ट “सिद्धार्थ”
जबलपुर (मध्य प्रदेश)
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होती कथा बुराई की तो,
देखिए अनंत।
क्या इसका कभी नहीं होगा,
कोई भी अंत।

कुछ भी कहाँ बदलाव आया,
अब लो पहचान।
वही राजा वही रानी हैं,
चारण का गान।।
चरित्र मिले हैं शकुनि जैसे,
जानो श्रीमंत।

कब होता यह प्रेम पुराना,
मेरे मनमीत।
सुर सरगम ताल वही अब
और प्रेमगीत।।
भूलें अपनी शकुंतला को,
उसके दुष्यंत।

त्रेता युग का कपटी रावण,
बसता भी आज।
करे हरण बस सीता का वो,
नहीं और काज।।
खाते मंदिर का चढ़ावा,
बदले क्या संत।

परिचय :- मीना भट्ट “सिद्धार्थ”
निवासी : जबलपुर (मध्य प्रदेश)
पति : पुरुषोत्तम भट्ट
माता : स्व. सुमित्रा पाठक
पिता : स्व. हरि मोहन पाठक
पुत्र : सौरभ भट्ट
पुत्र वधू : डॉ. प्रीति भट्ट
पौत्री : निहिरा, नैनिका
सम्प्रति : सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश (मध्य प्रदेश), लोकायुक्त संभागीय सतर्कता समिति जबलपुर की भूतपूर्व चेयरपर्सन।
प्रकाशित पुस्तक : पंचतंत्र में नारी, काव्यमेध, आहुति, सवैया संग्रह, पंख पसारे पंछी
सम्मान : विक्रमशिला हिंदी विश्वविद्यालय द्वारा, विद्या सागर और साहित्य संगम संस्थान दिल्ली द्वारा, विद्या वाचस्पति की मानद उपाधि, गुंजन कला सदन द्वारा, महिला रत्न अलंकरण, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर द्वारा “उत्कृष्ट न्यायसेवा अंतर्राष्ट्रीय सम्मान २०२४” से सम्मानित तथा कई अन्य साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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