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वियोग की पीड़ा में श्रृंगार

शिवम यादव ”आशा”
ग्राम अन्तापुर (कानपुर)
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श्रृंगार का अंदाज था।
वियोग का भाव।
बिछड़ने का डर था,
संयोग का अभाव।
मिलन का ख्वाब था,
बातों का लोभ था।
दृश्य ऐसा अपनाया,
मिट गई सुंदर काया।
संयोग पर हस्ते,
वियोग पर रोते।
अस्थाई प्रेम पर वचन सुनाते,
वियोग होने पर रोते ही जाते।
वियोग और संयोग-संयोग से होता है,
वियोग खुद संयोग से रोता है।
रोद्र भरे मन से निर्वेद की ओर चले,
श्रृंगार ऐसा करें अद्भुत सबको लगे।

.परिचय :-  आपका नाम शिवम यादव रामप्रसाद सिहं ”आशा” है इनका जन्म ७ जुलाई सन् १९९८ को उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात ग्राम अन्तापुर में हुआ था पढ़ाई के शुरूआत से ही लेखन प्रिय है, आप कवि, लेखक, ग़ज़लकार व गीतकार हैं, अपनी लेखनी में दमखम रखता हूँ !! अपनी व माँ सरस्वती को नमन करता हूँ !!
काव्य संग्रह : ”राहों हवाओं में मन”
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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