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ये मंजर क्यूँ है

डाॅ. मिनाक्षी अनुराग डालके
मनावर जिला धार (मध्य प्रदेश)
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तेरे इस संसार में
ये मंजर क्यूँ है
कहीं अपनापन तो कहीं
पीठ पीछे खंजर क्यूँ है
सुना है तू इस संसार के
हर कण में रहता है
फिर कहीं पर मंदिर
कहीं मस्जिद क्यूँ है
तेरे इस संसार में
ये मंजर क्यूँ है

जब रहने वाले
दुनिया के हर बंदे तेरे है
फिर कोई दोस्त
कोई दुश्मन क्यूँ है
तू ही लिखता है
हर किसी का मुकद्दर
फिर कोई बदनसीब और
कोई मुकद्दर का
सिकंदर क्यूँ है
तेरे इस संसार में
ये मंजर क्यूँ है

कभी आंखों में खुशी
कभी आंखे नम क्यूँ है
एक रात अमावस की
तो एक पूनम क्यूँ है
जब हर एक दिन समान तो,
एक पल में खुशी
अगले ही पल गम क्यूँ है
तेरे इस संसार में
ये मंजर क्यूँ है

परिचय : डाॅ. मिनाक्षी अनुराग डालके
निवासी : मनावर जिला धार मध्य प्रदेश
घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है।


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