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मीठी वाणी

मीना भट्ट “सिद्धार्थ”
जबलपुर (मध्य प्रदेश)
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मीठी वाणी बोलिए,
वाणी रस की खान।
शुभ वाणी से प्राप्त हो,
यत्र-तत्र सम्मान।।

सबको दे आनंद है,
शुभ तो है अनमोल।
शुभ शुभ ही तो बोलिए,
मधुरस देवे घोल।।

सबसे अच्छी मौन है,
सुख का है संदेश।
अधजल गगरी छलकती,
बदलो ये परिवेश।।

कटु वचन से बैर बढ़े,
रख लो तुम ये ध्यान।
मीठी वाणी बोलिए,
वाणी रस की खान।।

बार बार मिलती नहीं,
देखो मानव देह।
निर्मल भाव विचार रख,
रखो सभी से नेह।।

चलिए सच की राह पर,
तज कर झूठ विकार।
मानव की सेवा करो,
रख मन सहज विचार।।

क्षण भंगुर जीवन सुनो,
ले लो ये संज्ञान।
मीठी वाणी बोलिए,
वाणी रस की खान।।

व्यर्थ प्रलाप करो नहीं,
उत्तम करिए नित्य।
आडम्बर को छोड़कर,
करिए पावन कृत्य।।

कर लो साधक साधना,
शुभ तो है बेजोड़।
बातचीत-व्यवहार शुभ,
मुख नहिं मनवा मोड़।।

करे सदा शुभ सोच ही,
मानव का उत्थान।
मीठी वाणी बोलिए,
वाणी रस की खान।।

परिचय :- मीना भट्ट “सिद्धार्थ”
निवासी : जबलपुर (मध्य प्रदेश)
पति : पुरुषोत्तम भट्ट
माता : स्व. सुमित्रा पाठक
पिता : स्व. हरि मोहन पाठक
पुत्र : सौरभ भट्ट
पुत्र वधू : डॉ. प्रीति भट्ट
पौत्री : निहिरा, नैनिका
सम्प्रति : सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश (मध्य प्रदेश), लोकायुक्त संभागीय सतर्कता समिति जबलपुर की भूतपूर्व चेयरपर्सन।
प्रकाशित पुस्तक : पंचतंत्र में नारी, काव्यमेध, आहुति, सवैया संग्रह, पंख पसारे पंछी
सम्मान : विक्रमशिला हिंदी विश्वविद्यालय द्वारा, विद्या सागर और साहित्य संगम संस्थान दिल्ली द्वारा, विद्या वाचस्पति की मानद उपाधि, गुंजन कला सदन द्वारा, महिला रत्न अलंकरण, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर द्वारा “उत्कृष्ट न्यायसेवा अंतर्राष्ट्रीय सम्मान २०२४” से सम्मानित तथा कई अन्य साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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