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हिन्दी खूब भाती है

अटल मुरादाबादी
नोएडा, गौतमबुद्ध (उत्तर प्रदेश)
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वतन की शान है हिन्दी,
वतन का मान है हिन्दी।
धड़कती है दिलों में ये,
धड़कता प्राण है हिन्दी।।
पड़ी जब भी जरूरत है,
निभाया रोल है अपना।
किया आजाद हिंदुस्तां,
किया पूरा सकल सपना।।(१)

पली बढती रही आगे,
न मुड़कर देखती पीछे।
समायीं बोलियां अनगिन,
सभी को प्यार से सींचे।।
खड़ी बोली कहीं दिखती,
कहीं अंदाज है वृज का।
कहीं मीठी है मिसरी सी,
अजब अहसास लखनऊ’ का।।(२)

सरल हैं बोल इसके सब,
सहजता से समझ आती।
नहीं अपनी गहनता पर,
कभी तिलभर भी’ इठलाती।।
कहे क्या ये ‘अटल’ तुमसे,
सभी का मन लुभाती है।
गजब है हिंद की भाषा,
ये हिन्दी खूब भाती है।।(३)

परिचय :- अटल मुरादाबादी
निवासी : नोएडा, गौतमबुद्ध (उत्तर प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।

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