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शिक्षादाता

प्रीतम कुमार साहू
लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़)
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हाथ पकड़कर जिस गुरुवर ने, लिखना हमें सिखाया
जीवन पथ पर कैसे चलना चलकर हमें दिखाया।।

कैसे भूलूँ उस गुरुवर को, कभी हार न माना होगा
क्षमा कर गलतियों को जिसने काबिल हमें बनाया।।

सही गलत का ज्ञान कराकर, सत्य मार्ग बतलाया
कैसे जीना हमें चाहिए जी कर हमें दिखलाया।।

शिक्षा, और संस्कार के दाता, हमारे भाग्य विधाता
अज्ञानता को दूर भगाकर ज्ञान का दीप जलाया।।

सफलता के राह पर चलकर सच का राह दिखाया
मिलती नहीं मंजिल तब तक चलना हमें सिखाया।।

थककर कभी बैठ न जाना, मंजिल की इन राहों पर
कठिनाइयों से लड़कर आगे बढ़ना हमें सिखलाया।।

परिचय :- प्रीतम कुमार साहू (शिक्षक)
निवासी : ग्राम-लिमतरा, जिला-धमतरी (छत्तीसगढ़)
घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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