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कलम का सिपाही

शैल यादव
लतीफपुर कोरांव (प्रयागराज)
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जन्म इकतीस जुलाई अट्ठारह सौ‌ अस्सी।
जन्मस्थल उत्तर प्रदेश के लमही जिला काशी।।

माता‌ थी आनंदी पिता थे अजायब राय।
धनपत राय बचपन का नाम उर्दू में नवाब राय।।

अमृत राय पुत्र का नाम पत्नी का शिवरानी।
लिखकर चले गए लगभग तीन सौ कहानी।।

कहानियों का संग्रह है ‘मानसरोवर’ नाम से।
प्रसिद्धि उनकी विश्व में लेखन के काम से।।

बनारस से निकालते थे वे पत्रिका ‘हंस’।
लेखन में अब तक चल रहा है इनका वंश।।

‘बड़े भाई साहब’ पढ़ा पहुंचे जब अष्टम् में।
दो बैलों की कथा पढ़ी आ गये जब नवम् में।।

फटे जूते के बहाने मौका मिला दशवीं में।
ईदगाह पढ़ने का मौका मिला ग्यारहवीं में।।

‘प्रेमचंद घर में’, ‘कलम का सिपाही’ की कहानी।
पत्नी और पुत्र ने लिख डाला उनकी जीवनी।।

गद्य की विधाओं में उनकी बहुत पकड़ थी।
नम्र थे विनम्र थे ‌उनमे बिल्कुल नहीं अकड़ थी।।

कहा जाता है इन्हें ही उपन्यासों का सम्राट।
लेखन के क्षेत्र में इनका व्यक्तित्व बहुत विराट।।

गोदान में लिख दिया किसानों की महागाथा।
उपन्यासों को पढ़ने के बाद नत हो जाता माथा।।

उन्नीस सौ सैंतीस में वे चले गए परलोक।
पर उनका साहित्य रहेगा सदा इस लोक।।

परिचय :- शैल यादव
निवासी : लतीफपुर कोरांव (प्रयागराज)
सम्प्रति : शिक्षक- जीआईसी
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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