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निर्धनता है मन का भाव

डॉ. किरन अवस्थी
मिनियापोलिसम (अमेरिका)

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स्वाभिमानी जन श्रम का
मान किया करते है
जो न श्रम का सम्मान करें
निर्धन वही हुआ करते हैं।
नहीं भावना हो जिनमे
न श्रम का वो मान करें
जो शब्दों के बाण चलाते
अंतस् उनके रीते रहते हैं।
श्रम करना ही मानवता
श्रम का फल मीठा मीठा
मन का श्रम, तन का श्रम
पुष्ट रहे सारा तन-मन।
कुटुंब, समाज या मानवता हित
जो भरपूर परिश्रम करते हैं
कड़ी धूप या जल प्लावन हो
स्वाभिमानी वो पूज्य हुआ करते हैं।
भीषण लू गर्मी में स्वेद बहा कर
घर बाहर भोज्य बनाकर
महल अटारी सबको दिलवा कर
सबको तृप्त किया करते हैं।
जिसकी जो सामर्थ्य
जिसको जो आता है उसमें
अपना सर्वस्व लुटाकर वो
जन मानस को तुष्ट किया करते हैं
मान सम्मान के असली अधिकारी
वो हर रोज़ हुआ करते हैं।

परिचय :- डॉ. किरन अवस्थी
सम्प्रति : सेवा निवृत्त लेक्चरर
निवासी : सिलिकॉन सिटी इंदौर (मध्य प्रदेश)
वर्तमान निवासी : मिनियापोलिस, (अमेरिका)
शिक्षा : एम.ए. अंग्रेजी, एम.ए. भाषाविज्ञान, पी.एच.डी. भाषाविज्ञान
सर्टिफिकेट कोर्स : फ़्रेंच व गुजराती।
पुनः मैं अपने देश को बहुत प्यार करती हूं तथा प्रायः देश भक्ति की कविताएं लिखती हूं जो कि समय की‌ मांग भी‌ है। आजकल देशभक्ति लुप्तप्राय हो गई है। इसके पुनर्जागरण के लिए प्रयत्नशील हूं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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