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समय ही समय पर आदमी को नाम देता है

गोपाल मोहन मिश्र
लहेरियासराय, दरभंगा (बिहार)

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समय ही समय पर आदमी को नाम देता है।
समय ही आदमी को, कर गुमनाम देता है।।

वक्त बदले अच्छा तो, तुम मगरूर मत होना।
आदमी को गिराता वक्त, बहुत गरूर का होना।।
समय की ताकत समझो, ये कर नीलाम देता है।
समय ही समय पर आदमी को नाम देता है।।

कुछ लोग वक्त के साथ, अभिमानी हो जाते हैं।
कुछ लोग समय के अनुभव से, ज्ञानी हो जाते हैं।।
जो वक्त से सीखते, वक्त ही उनको ईनाम देता है।
समय ही समय पर आदमी को नाम देता है।।

वक्त में ताकत है, हाथों की लकीर बदलने की।
समय में शक्ति है, आदमी की तकदीर बदलने की।।
समय हीआदमी को, पहचान और सलाम देता है।
समय ही समय पर आदमी को नाम देता है।।

समय का नियम कि, समय कभी रुकता नहीं है।
समय की मिसाल है कि, कभी झुकता नहीं है।।
समय अपने अनादर पर, नाम बदनाम देता है।
समय ही समय पर आदमी को नाम देता है।।

परिचय :-  गोपाल मोहन मिश्र
निवासी : लहेरियासराय, दरभंगा (बिहार)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।

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