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कारे बदरा देख झूमे मनवा

निरूपमा त्रिवेदी
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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उमङ-घुमङ कर कारे बदरा छाए
देखो-देखो कितना जल भर लाए
रिमझिम-रिमझिम देख बरखा
खिल-खिल जाए मुखड़ा सबका

मतवाला मयूर घूम-घूम नाचता
पीहू-पीहू पपीहा भी गाता
दादुर टर्र-टर्र टर्राता
किसना खेत देख हर्षाता

मुनिया रानी नाव बना तैराती
छप-छप कर मुन्ना छीटे उङाता
गरमा-गरम भुट्टा सबको अति भाता
पकोड़े की खुशबू जियरा ललचाता

बचपन देखो होता कितना प्यारा
मेंढक देख फुदकता मुन्ने का मनवा
ताल-तलैया में पानी सुहावना
अमुआ की डाल पर झूला मनभावना

शीतल सोंधी-सोंधी माटी की खुशबू
खुशहाली छा गई देखो-देखो हरसू
कभी तितली सा मन रंगों से भरता
कभी चिहू-चिहू चिड़ियों सा चहकता

परिचय :- निरूपमा त्रिवेदी
निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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