Thursday, November 21राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

कृष्ण जी की १६ हजार रानियों का सत्य

डॉ. किरन अवस्थी
मिनियापोलिसम (अमेरिका)

********************

‌‌ कृष्ण जी के जीवनकाल में एक घटना घटी। नरकासुर नामक राक्षस ने १६ हजार स्त्रियों का अपहरण करके अपने महल में बंदी बनाकर रखा था। उसे कृष्ण जी ने नरकासुर को मार कर उन स्त्रियों को मुक्त कर दिया। इतने वर्षों तक राक्षस के यहां रहने के बाद उन्हें कौन स्वीकार करेगा, यह सोचकर सभी नदी में डूबकर जीवन समाप्त करने के लिए चल पड़ी। कृष्ण जी के पूछने पर उन्होंने अपने मन‌ की बात उन्हें बताई। इसपर भगवान श्रीकृष्ण जी ने उन्हें जीवन त्याग करने से रोका तथा कहा कि आप सबको मैं आश्रय दूंगा, आप मेरे साथ रहेंगी। कृष्ण जी तो बहुत सक्षम थे, उन सबके रहने के लिए महल बनवाकर उन्हें सुरक्षा प्रदान की। कृष्ण जी उस समय के सर्वाधिक शक्तिशाली राजा थे, उनकी सुरक्षा के घेरे में आने का किसी में साहस नहीं था। इस प्रकार वो भगवान की आश्रिता थीं, संरक्षण में थीं।श्रीकृष्ण जी तो योगेश्वर थे। उन्होंने १६ हजार स्त्रियों को संरक्षण दिया, इसका अर्थ यह नहीं कि वो उनकी रानियां /पत्नियां थीं। श्रीमद्भागवत में भी उनके ‘कृष्ण जी की पत्नियां’ शब्दों का होने का कहीं कोई उल्लेख नहीं है।
जन साधारण द्वारा इस तथ्य को न जानने के कारण उनकी रानी शब्द प्रचलन में आ गया। सोचने व समझने की‌ बात है कि १६ हजार पत्नियां क्या कोई रख सकता है! वो भगवान थे, परम योगेश्वर। उनके विषय में ऐसी तथ्यहीन, तर्कहीन बात करना भगवान का अपमान ‌है।
सभी सुधी पाठकों से विनम्र अनुरोध है कि इस तथ्य को उजागर करके इस दुष्प्रचार का खंडन करें, लोगों को तथ्य से परिचित कराएं। उपर्युक्त तथ्य को इस पटल पर लिखने का मेरा मात्र यही उद्देश्य है। सभी को धन्यवाद, शुभकामनाएं, आभार।
जय श्रीकृष्ण 🙏

परिचय :- डॉ. किरन अवस्थी
सम्प्रति : सेवा निवृत्त लेक्चरर
निवासी : सिलिकॉन सिटी इंदौर (मध्य प्रदेश)
वर्तमान निवासी : मिनियापोलिस, (अमेरिका)
शिक्षा : एम.ए. अंग्रेजी, एम.ए. भाषाविज्ञान, पी.एच.डी. भाषाविज्ञान
सर्टिफिकेट कोर्स : फ़्रेंच व गुजराती।
पुनः मैं अपने देश को बहुत प्यार करती हूं तथा प्रायः देश भक्ति की कविताएं लिखती हूं जो कि समय की‌ मांग भी‌ है। आजकल देशभक्ति लुप्तप्राय हो गई है। इसके पुनर्जागरण के लिए प्रयत्नशील हूं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु  राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈…  राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…🙏🏻.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *