Saturday, September 21राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

पत्थर हुआ इंसान

डॉ. प्रताप मोहन “भारतीय”
ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी
********************

आजकल इंसान
नही रहा इंसान ।
हो गया है
पत्थर समान।
*******
प्रत्येक इंसान अपनी
दुनियां में खो गया है।
इसलिये शायद
भावना शून्य हो गया है।
******
समाज में होनी वाली
घटना का उस पर
कोई असर नहीं होता है।
वह तो केवल अपनी
मस्ती में मस्त होता है।
******
चाहे हो जाय हत्या
चाहे हो जाय बलात्कार
उसके कानों पर
जूं नही रेंगती।
उसको तो केवल
अपनी पड़ी रहती हैं।
*******
दया,करुणा और
सहनुभूति आजकल
इंसानों में नहीं मिलती
इसलिये दुनियां में अब
खुशहाली नही दिखती।
******
अब इंसानियत
खो चुका है इंसान।
इसलिये पत्थर दिल
हुआ है इंसान।
*******

परिचय : डॉ. प्रताप मोहन “भारतीय”
निवासी : चिनार-२ ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी
घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करता हूँ कि उपरोक्त रचना पूर्णतः मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय  हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…🙏🏻.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *