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एक चेहरे पर कई चेहरे

माधवी तारे
लंदन
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जब भी भारतीयों की प्रगति की बात होती है, विदेशों में बसे भारतीयों के गुणगान गाने को तत्पर रहते हैं और विदेशी लोगों को आमंत्रित करने का मौका हम ढूंढते रहते हैं। वहां रहने वाले भारतीय इस अवसर को संपन्न करवाने में हम जी जान से मदद करते हैं। लेकिन विदेशी समाज में रहकर खुद को साबित करना, अच्छे पद कर काम करना आसान नहीं होता. गलतियां ढूंढने को तैयार लोगों की घाघ नज़रों के बीच हर दिन अपने आप को प्रमाणित करना पड़ता है। कई देशों में भारतीय नर्सें काम करती हैं और उनके काम को काफी सराहा जाता है। लेकिन कई बार ऐसा भी सुनने में आता है कि आप्रवासी नर्से सारी तैयारी करके रखती हैं लेकिन उसका सारा श्रेय स्थानीय नर्सें ले जाती है, डॉक्टरों को जानबूझकर दिखाया जाता है कि स्थानीय कर्मचारी ही बेहतर हैं।
अक्सर आयोजन में देखा जाता है कि आज भी हमारी गुलामगिरी की मानसिकता गई नहीं है। जिन्होंने आयोजन संपन्न करने में हाथ बंटाया, हम विदेशी मेहमानों के स्वागत में पलक-पावडे बिछाकर उनकी सुख सुविधा का ध्यान रखते हैं। और अपने लोगों की उपेक्षा करते हुए उनके अपने खर्चे पर आओ, ऐसा कहने में भी नहीं चूकते। वास्तव में विदेश में रहना, अपना हुनर दिखाना, ये आसान नहीं है। इसलिये आयोजकों का ये रवैया एक चेहरे पर कई चेहरे लगाने जैसा है।

परिचय :- माधवी तारे
वर्तमान निवास : लंदन
मूल निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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