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ममता

कुमुद दुबे
इंदौर म.प्र.
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 रश्मि आज ऑफिस से जल्दी घर आ गई थी राकेश अभी लौटे नहीं थे। राकेश के इन्तजार में वह गलियारे मे टहल रही थी। चहलकदमी करते हुये रश्मि का ध्यान अपने बेटे प्रवीण की ओर चला गया जो जाॅब के सिलसिले मे ५ वर्ष पहले आस्ट्रेलिया गया था ओर वहीं बस गया था।
रश्मि विचारों में डूब गई, प्रवीण को देखो पत्नी बच्चे का हो कर रह गया पूरा सप्ताह निकल गया आ नहीं सकता तो क्या फोन पर मां-बाप की खैर खबर लेने के लिये भी वक्त नहीं निकाल सकता। जब बेचलर था रोजाना ऑफिस से लौटने के बाद फोन पर मां बाप के हाल जाने बगैर सोता ही नहीं था।
अब पूरा सप्ताह बीत जाता है, आना तो दूर की बात एक फोन करने का वक्त भी नहीं निकाल पाता। रश्मि के मन में इसी तरह के विचार उबाल ले रहे थे, कि फोन की घंटी बजी, भीतर जाकर रिसीवर उठाया ओर बातों मे तल्लीन हो गई। रश्मि के चेहरे पर उभरी मुस्कुराहट बता रही थी कि फोन बेटे का ही है।
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परिचय :- कुमुद के.सी.दुबे
जन्म- ९ अगस्त १९५८ – जबलपुर
शिक्षा- स्नातक
सम्प्रति एवं परिचय- वाणिज्यिककर विभाग से ३१ अगस्त २०१८ को स्वैच्छिक सेवानिवृत। विभिन्न सामाजिक पत्र पत्रिकाओं में लेख, कविता एवं लघुकथा का प्रकाशन। कहानी लेखन मे भी रुची।
इन्दौर से प्रकाशित श्री श्रीगौड नवचेतना संवाद पत्रिका में पाकशास्त्र (रेसिपी) के स्थायी कालम की लेखिका।
विदेश प्रवास- अमेरिका, इंग्लैण्ड एवं फ्रांस (सन् २०१० से अभी तक)।

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