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रिश्तों के जज्बात

सुधीर श्रीवास्तव
बड़गाँव, गोण्डा, (उत्तर प्रदेश)
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ऐसा भी होता है या नहीं
पर मेरे साथ तो ऐसा ही हुआ है,
आपको विश्वास हो या न हो
क्या फर्क पड़ता है।
आखिर ये कैसा रिश्ता है
किस जन्म का संबंध है,
संबंध है भी या नहीं
ये मैं कह भी नहीं सकता।
क्योंकि पूर्वजन्म के रिश्तों का
मैं न हूं कोई ज्ञाता।
पर आज रिश्ता है हमारा उससे
जिसे देखा तक नहीं
तो जान पहचान का
तो प्रश्न ही नहीं।
फिर भी वो जानी
पहचानी लगती है
इतनी छोटी होकर भी
नानी दादी सी लगती है।
वो चाहे जितनी दूर है
हम आमने सामने
मिलेंगे या नहीं
ये तो कहना मुश्किल है।
पर वो आसपास है
घर के आंगन में
फुदकती लगती है,
हंसाती और रुलाती है,
बेवजह सिर खाती है।
अपने छोटे होने का
लाभ उठाने का
मौका भी वो कहाँ छोड़ती है,
अपने अधिकारों का
जी भरकर प्रयोग करती है।
हमसे अपने रिश्ते बताती है
जाने क्या क्या बकती रहती है?
क्या सच क्या झूठ ये तो
वो भी नहीं जानती है।
पर मौके को लपकना
खूब जानती है।
अच्छा ही तो है, कम से कम
मैं भी कुछ तो जिम्मेदार हो गया,
अधिकार और कर्तव्य
का मतलब समझने लगा,
सच कहूं तो मैं उससे डरता भी हूँ
क्योंकि मैं उसे अपने अंतर्मन से
शायद सदियों से जानता हूँ,
अथवा पवित्र रिश्तों के जज्बात
बेहतर ढंग से पढ़ना जानता हूँ,
यह और बात है कि मैं
भूत भविष्य के बजाय में
वर्तमान में जीता हूँ
और बहुत खुश रहता हूँ,
उसके सुखद भविष्य
की कामना के साथ
आत्मीय भाव से
शुभकामनाओं संग
अनंत आशीष भी देता हूँ।

परिचय :- सुधीर श्रीवास्तव
जन्मतिथि : ०१/०७/१९६९
शिक्षा : स्नातक, आई.टी.आई., पत्रकारिता प्रशिक्षण (पत्राचार)
पिता : स्व.श्री ज्ञानप्रकाश श्रीवास्तव
माता : स्व.विमला देवी
धर्मपत्नी : अंजू श्रीवास्तव
पुत्री : संस्कृति, गरिमा
संप्रति : निजी कार्य
विशेष : अधीक्षक (दैनिक कार्यक्रम) साहित्य संगम संस्थान असम इकाई।
रा.उपाध्यक्ष : साहित्यिक आस्था मंच्, रा.मीडिया प्रभारी-हिंददेश परिवार
सलाहकार : हिंंददेश पत्रिका (पा.)
संयोजक : हिंददेश परिवार(एनजीओ) -हिंददेश लाइव -हिंददेश रक्तमंडली
संरक्षक : लफ्जों का कमाल (व्हाट्सएप पटल)
निवास : गोण्डा (उ.प्र.)
साहित्यिक गतिविधियाँ : १९८५ से विभिन्न विधाओं की रचनाएं कहानियां, लघुकथाएं, हाइकू, कविताएं, लेख, परिचर्चा, पुस्तक समीक्षा आदि १५० से अधिक स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर की पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित। दो दर्जन से अधिक कहानी, कविता, लघुकथा संकलनों में रचनाओं का प्रकाशन, कुछेक प्रकाश्य। अनेक पत्र पत्रिकाओं, काव्य संकलनों, ई-बुक काव्य संकलनों व पत्र पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल्स, ब्लॉगस, बेवसाइटस में रचनाओं का प्रकाशन जारी।अब तक ७५० से अधिक रचनाओं का प्रकाशन, सतत जारी। अनेक पटलों पर काव्य पाठ अनवरत जारी।
सम्मान : विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं द्वारा ४५० से अधिक सम्मान पत्र। विभिन्न पटलों की काव्य गोष्ठियों में अध्यक्षता करने का अवसर भी मिला। साहित्य संगम संस्थान द्वारा ‘संगम शिरोमणि’सम्मान, जैन (संभाव्य) विश्वविद्यालय बेंगलुरु द्वारा बेवनार हेतु सम्मान पत्र।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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