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अपनों को जगाने

राजेन्द्र लाहिरी
पामगढ़ (छत्तीसगढ़)
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अपनों को जगाने,
निम्न परिस्थितियों से ऊपर उठाने,
अपनी बात कलमबद्ध करने खातिर
सही अल्फ़ाज़ खोजना पड़ता है,
जिस तरह हलधर को अन्न उपजाने
अपनी कृषि भूमि जोतना पड़ता है,
विभिन्न बेशकीमती धातुओं को पाने
धरती का गर्भ खोदना पड़ता है,
हां प्रयोग कर सकता हूं
अपनी रचनाओं में क्लिष्ट शब्द,
समझ न पाने पर मेरे कौम के लोग
बेवजह हो सकते हैं स्तब्ध,
तभी तो लिखता हूं आसान भाषा में,
पढ़ कर कर सके सुधार इस अभिलाषा में,
तो मित्रों लगा हुआ हूं अपने अभियान में,
चमत्कार,पाखंड छोड़ सब
विश्वास करने लगे वास्तविक विज्ञान में,
बहकावे के जद में आकर
क्यों सुनना पड़े दुष्प्रचार,
वास्तविकता को सोचे समझे
लेने खुद के हक़ अधिकार।
परिचय :-  राजेन्द्र लाहिरी
निवासी : पामगढ़ (छत्तीसगढ़)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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