अशोक कुमार यादव
मुंगेली (छत्तीसगढ़)
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चला जा रहा हूँ, मैं तुमसे दूर।
मुझे याद करना, साथी जरूर।।
जिंदगी तेरे नाम कर दी,
जान भी-जान भी।
दिल तेरे नाम कर दिया,
मान भी-मान भी।।
माना था सभी को अपना,
चाहा था भरपूर।
चला जा रहा हूँ, मैं तुमसे दूर।
मुझे याद करना, साथी जरूर।।
यादों की परछाईयाँ,
धुँधली होने न पाई।
तेरी बातें मुझे,
पल-पल बहुत रूलाई।।
जूदा होके अभी से,
जा रहा हूँ सुदूर।
चला जा रहा हूँ, मैं तुमसे दूर।
मुझे याद करना, साथी जरूर।।
खुश रहना सदा,
हँसते-मुस्कुराते रहना।
थाम आशाओं का दामन,
समय के संग में बहना।।
कड़ी मेहनत से मिलेगी,
कामयाबी का सुरूर।
चला जा रहा हूँ, मैं तुमसे दूर।
मुझे याद करना, साथी जरूर।।
निवासी : मुंगेली, (छत्तीसगढ़)
संप्राप्ति : शिक्षक एल. बी., जिलाध्यक्ष राष्ट्रीय कवि संगम इकाई।
प्रकाशित पुस्तक : युगानुयुग
सम्मान : मुख्यमंत्री शिक्षा गौरव अलंकरण ‘शिक्षादूत’ पुरस्कार से सम्मानित, उत्कृष्ट शिक्षक सम्मान, छत्तीसगढ़ हिन्दी रत्न सम्मान, अटल स्मृति सम्मान, बेस्ट टीचर अवॉर्ड।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
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