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ओ चंद्रयान

रोहताश वर्मा “मुसाफिर”
हनुमानगढ़ (राजस्थान)
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चल चल चला चल
हमारी पहचान करता जा।
चांद की जमीं को…
तू हिंदुस्तान करता जा।।

है अमर गाथा अब
दूर न कोई ग्रह होगा..
देखना धीरे धीरे एक दिन
नया भोर उदय होगा ..
आंचल में शामिल
तू आसमान करता जा।।

क्या मुश्किलें क्या रूकावट?
सब पर भारी पड़ेंगे..
देखना एक दिन…
स्वर्णाक्षरों में इतिहास गढ़ेंगे..
चांद की जमीं पर
अपना निशान करता जा।।

धन्य! इसरो, धन्य देश हुआ..
हर गिरते हुए को…
एक नया संदेश हुआ..
हार न मानना कभी, सफल..
हर इम्तिहान करता जा।
हे ! टूटते ‘मुसाफिर’
स्वयं को चंद्रयान करता जा।।

चल चल चला चल
चांद की जमीं को
हिन्दुस्तान करता जा।।

परिचय :- रोहताश वर्मा “मुसाफिर”
निवासी : गांव- खरसंडी, तह.- नोहर हनुमानगढ़ (राजस्थान)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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