अमिता मराठे
इंदौर (मध्य प्रदेश)
********************
राष्ट्र कवि मैथिलीशरण गुप्तजी ने कहा था कि हिन्दी उन सभी गुणों से अलंकृत है जिनके बल पर वह विश्व की साहित्यिक भाषाओं की अगली श्रेणी में सभासीन हो सकती है।
दुनिया भर में हिन्दी का विकास, प्रचार प्रसार करने के उद्देश्य से हर साल विश्व हिन्दी दिवस दस जनवरी को मनाया जाता है। हिन्दी अब अपने साहित्यिक दायरे से बाहर निकलकर व्यापक क्षेत्र में प्रवेश करते हुए अंतरराष्ट्रीय भाषा के रूप में अपना गौरव फ़ैलाने की तैयारी में है। संयुक्त राष्ट्र की अधिकारिक भाषाओं में हिन्दी को स्थान दिलाने का प्रयास अविरत चल रहा है। इसके पूर्व देश में सरल, सुबोध, सशक्त, मीठी हिन्दी भाषा के प्रति सम्पूर्ण जागरूकता एवं अनुराग पैदा कर देश का हर बच्चा कहें हिन्दी मेरी राष्ट्र भाषा है।
हिन्दी की वैश्विक प्रभुता, उपयोगिता और महत्ता दर्शाने के उद्देश्य से आयोजित हो रहे विश्व हिन्दी सम्मेलनों की संख्या तो बढ़ रही है, किन्तु अत्यंत दुःख होता है जब देश के बच्चे कहते हिन्दी की गिनती, भाषा तथा महिने हमें नहीं मालूम। हम अंग्रेज़ी स्कूल में पढ़ते हैं। हिन्दी हमारी मातृभाषा है। भले ही अनेक भाषाओं का अस्तित्व देश में है। फिर भी विश्व स्तर पर स्नेह लुटाने की क्षमता हिन्दी में ही है। इसलिए ऐसी व्यवस्था हो जहां दोनों ही भाषाओं का यथोचित अभ्यास करवाया जायें।
*हिन्दी हैं हम* यह भाव भरना हमारा कर्तव्य है।
क्योंकि कि भारत के अतिरिक्त प्रमुख रुप से पाकिस्तान, नैपाल, भूटान, बांग्लादेश, श्रीलंका, मालदीव, म्यांमार, इंडोनेशिया, मलेशिया, सिंगापुर, थाइलैंड, चीन, जापान, यमन, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, युगांडा, दक्षिण अफ्रीका, माॅरिशस, खुराना, सुरीनाम, त्रिनिदाद, टोबैगो, रूस, ब्रिटेन, जर्मनी, न्यूजिलैंड, आदि देशों में हिन्दी बोली व समझी जाती है। यह गर्व का विषय है।
भारत के धार्मिक ग्रंथों के अनुवाद भी अनेक भाषाओं में हो गये है। महाभारत, रामायण जैसे धारावाहिक विदेश में लोकप्रिय होने की वजह हमारी प्यारी हिन्दी की रोशनी है। आज दुनिया चमक रही है हिन्दी भाषा से इसका श्रेय हम विदेश में रहने वाले भारतवंशियों को एवं हिन्दी के प्रशंसकों को देंगे, जिनके प्रयत्नों से मिट रही है भाषा की दीवार और बुलंद हो रहा है हिन्दी का परचम। हिन्दी के बढ़ते कदमों के पीछे आप्रवासी भारतीयों का प्रेम है। और वे लोग जो भारत की आध्यात्मिकता तथा विशेषताओं से जुड़ना चाहते है वे सर्व प्रथम हिन्दी सीखकर उससे जुड़ने में समर्थ हुए। मनोरंजन के साथ भाषा ज्ञान का आनन्द ही नहीं उसकी लौ जलाने में विश्व के अनेक विद्वानों ने हिंदी को स्वयं सीखकर सीखाने का काम किया है।
आश्चर्य का विषय हैं हिन्दी साहित्य के विकास में युरोपीय देशों ने तथा अनेक बुद्धिजीवी वर्ग ने अध्ययन एवं अनुसंधान का कार्य किया है।आज हिन्दी शब्दकोश को विशाल स्वरूप में लाने के कार्य में विश्व के विचारकों का मुक्त सहयोग हैं। जितनी प्रामाणिक जानकारी प्राप्त करने का प्रयास हम देश में होते हुए भी नहीं करते किन्तु विश्व ने हिन्दी के अथाह साहित्य सागर की गहराई में जाकर हीरे मोती की खोज की है।
निष्कर्ष यह है कि हिन्दी आज दुनिया में सीखी और सीखाई जा रही है। भारत के महान ख्याति प्राप्त साहित्यकार जैसे प्रेमचन्द, स्वामी विवेकानंद, आदि दुनिया में छाये हुए हैं। हिन्दी हमारे अंतर्मन की, सम्पर्क की भाषा, विश्व बंधुत्व की भावना को जगाने वाली, अत्यन्त प्रभावी भाषा है। अन्य भाषा को सम्मान देते हुए अपनी भाषा का महत्व ऊंच रखना हैं। यह गुण हमें विदेशियों से लेना हैं। जय हिन्द के नारे के साथ हिन्दी हैं हम, सदा याद रखना हैं।।
परिचय :- अमिता मराठे
निवासी : इन्दौर, मध्यप्रदेश
शिक्षण : प्रशिक्षण एम.ए. एल. एल. बी., पी जी डिप्लोमा इन वेल्यू एजुकेशन, अनेक प्रशिक्षण जो दिव्यांग क्षेत्र के लिए आवश्यक है।
वर्तमान में मूक बधिर संगठन द्वारा संचालित आई.डी. बी.ए. की मानद सचिव।
४५ वर्ष पहले मूक बधिर महिलाओं व अन्य महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए आकांक्षा व्यवसाय केंद्र की स्थापना की। आपका एकमात्र यही ध्येय था कि महिलाओं को सशक्त बनाया जा सके। अब तक आपके इंस्टिट्यूट से हजारों महिलाएं सशक्त हो चुकी हैं और खुद का व्यवसाय कर रही हैं।
शपथ : मैं आगे भी आना महिला शक्ति के लिए कार्य करती रहूंगी।
प्रकाशन :
१ जीवन मूल्यों के प्रेरक प्रसंग
२ नई दिशा
३ मनोगत लघुकथा संग्रह अन्य पत्र पत्रिकाओं एवं पुस्तकों में कहानी, लघुकथा, संस्मरण, निबंध, आलेख कविताएं प्रकाशित राष्ट्रीय साहित्यिक संस्था जलधारा में सक्रिय।
सम्मान :
* मानव कल्याण सम्मान, नई दिल्ली
* मालव शिक्षा समिति की ओर से सम्मानित
* श्रेष्ठ शिक्षक सम्मान
* मध्यप्रदेश बधिर महिला संघ की ओर से सम्मानित
* लेखन के क्षेत्र में अनेक सम्मान पत्र
* साहित्यकारों की श्रेणी में सम्मानित आदि
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻
आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 hindi rakshak manch 👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें...🙏🏻.