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बेवजह तुम कभी …

प्रशान्त मिश्र
मऊरानीपुर, झांसी (उत्तर प्रदेश)
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बेवजह तुम कभी मुस्कुराया करो,
मेरे सपनों में हर रोज आया करो।
ये जरूरी नहीं चांदनी रात हो,
अपनी यादों के दीपक जलाया करो।
नफरतों की गली से कब गुजरना पड़े,
प्रेम के गीत हर रोज गाया करो।
जब कभी भी बिछड़ने के हालात हों,
मुस्कुराकर गले से लगाया करो।
जब कभी भी हमारी मुलाकात हो,
सारे शिकवे गिले भूल जाया करो।
मेरे हर लब्ज़ में तुम रहो बस सदा,
तुम मुझे भी कभी गुनगुनाया करो।
मैं कभी भी न पूरा तुम्हारे बिना,
तुम अधूरा न मुझको बताया करो।
हम बुरे ही सही,पर हैं आपके,
प्रेम ऐसे ही हम पर लुटाया करो।

परिचय :-  प्रशान्त मिश्र
निवासी : ग्राम पचवारा पोस्ट पलरा तहसील मऊरानीपुर झांसी उत्तर प्रदेश
शिक्षा : बी.एस.सी., डी.एल.एड., एम.ए (राजनीतिक विज्ञान)

घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।

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