सोनल सिंह “सोनू”
कोलिहापुरी दुर्ग (छतीसगढ़)
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हर दिल में पलें ख्वाहिशें कई,
कुछ कही, कुछ अनकही सी,
कुछ उजागर, कुछ राज़ सी,
कुछ पूरी, कुछ अधूरी सी।
कुछ बन पाती है हकीकत,
कुछ दबी रह जाती है मन में,
कुछ को मिल पाती है मंजिल,
कुछ भटक जाती है सफर में।
अधूरी ख्वाहिशें तोड़ देती है,
जीवन का रुख मोड़ देती है,
शांत मन को झकझोर देती है,
अनजानों से नाते जोड़ देती है।
हर ख्वाहिश पूरी हो, जरुरी तो नहीं,
तेरे रुक जाने से, थमती दुनिया नहीं,
टूटे इक सपना गर, नया सपना बुन,
इक रही अधूरी तो क्या, नई ख़्वाहिश चुन।
पूरा करने ख़्वाहिश, जी जान लगा दे,
कर प्रयास, पूरा ध्यान लगा दे,
फिर भी रहे यदि, ख़्वाहिश अधूरी,
समझ प्रयासों में रह गई कुछ कमी।
परिचय – सोनल सिंह “सोनू”
निवासी : कोलिहापुरी दुर्ग (छतीसगढ़)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
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