विजय गुप्ता “मुन्ना”
दुर्ग (छत्तीसगढ़)
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देश में दिवाली रंग, दरक गई सुरंग,
मजदूर बदरंग, बुरा वक्त होश का।
सिलक्यारा टनल में, दबे हुए श्रमिक के
धैर्य को करें नमन, रक्षा कर्म जोश का।
मुसीबत राज करे, चहुं ओर सब घिरे,
कोई थके कभी गिरे, लोग घबराते हैं।
मुसीबत पहाड़ का, बंद सब किवाड़ भी,
विकल्प संकल्प बल, हौसला दिलाते हैं।
सुई संग तलवार, थे छोटे बड़े औजार,
मशीन जवान धार, देश करे प्रार्थना।
मेला रेला कष्ट आए, टूट फूट खूब लाए,
श्रमिक बातचीत से, भूलते कराहना।
सत्रह दिवस तक, दोनों ओर भरसक,
तरकस के तीर से, ढूंढते संभावना।
घंटे चार शतक में, खाना पीना दवाई से,
सत्ता जनता देश की, देखो सदभावना।
तमस भरी दुनिया, उमस रही बगिया,
प्रयास वाली कलियां, सतत खिलाते हैं।
रक्षा जीवनदायिनी, सुकर्म वरदायिनी,
पहाड़ तोड़ विजय, वापसी सौगातें हैं।
परिचय :- विजय कुमार गुप्ता “मुन्ना”
जन्म : १२ मई १९५६
निवासी : दुर्ग छत्तीसगढ़
उद्योगपति : १९७८ से विजय इंडस्ट्रीज दुर्ग
साहित्य रुचि : १९९७ से काव्य लेखन, तत्कालीन प्रधान मंत्री अटल जी द्वारा प्रशंसा पत्र
काव्य संग्रह प्रकाशन : १ करवट लेता समय २०१६ में, २ वक़्त दरकता है २०१८
राष्ट्रीय प्रशिक्षक : (व्यक्तित्व विकास) अंतराष्ट्रीय जेसीस १९९६ से
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
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