Sunday, November 24राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

ढोल, गंवार, शूद्र, पशु, नारी

डॉ. किरन अवस्थी
मिनियापोलिसम (अमेरिका)

********************

 सभी को ज्ञात होगा कि रामचरितमानस गोस्वामी तुलसीदास जी ने अवधी भाषा में लिखी है। नारी अवधी भाषा का शब्द है जो नाली शब्द का अपभ्रंश है। नारा जिसे हिंदी में नाला कहते हैं, का अर्थ अवधी भाषा ‌मे है जलवाहक, जिसमें दोनों ओर बांध (ताड़ना का एक अर्थ बांधना भी है) होते हैं। बांध न हो तो जल प्लावन हो जाए। उसी का स्त्रीलिंग है नारी। समुद्र ने स्वयं अपने लिए नारा ‌शब्द का प्रयोग किया। काव्य में तुकबंदी के लिए तुलसीदास जी ने नारा का नारी लिखा। इतने, परमज्ञानी, स्वयं अपनी पत्नी का इतना सम्मान करने वाले, स्त्री जातिमात्र (शबरी को माता कहकर पुकारा है भगवान राम ने रामचरितमानस में) का आदर करने वाले भक्तज्ञानी गोस्वामी तुलसीदास जी यह नहीं जानते थे कि ५०० वर्ष बाद भारतीयों के अज्ञान की पराकाष्ठा होगी, व उनके नारी शब्द के अर्थ का इतना बड़ा अनर्थ हो जाएगा।
सूचना के लिए बताना चाहूंगी कि स्वयं मेरे माता-पिता कानपुर के अवधीभाषी थे। मैंने स्वयं बचपन से अपनी नानी, दादी के घर परिवार में, रिश्तेदारों से उस समय के बुजुर्गों के मुख से नाला शब्द के लिए नारा, नाली शब्द के लिए नारी शब्द ही सुना है। आज भी अवधी भाषी ग्रामीण क्षेत्रों में नाली के लिए नारी शब्द ही बोला जाता है।
इसी प्रकार शब्द ढोल है यानी ढोलक, न कि ढोर। कृपया आप सभी से करबद्ध प्रार्थना है कि इस वक्तव्य को अधिकाधिक फारवर्ड करके तुलसीदास जी की सुंदरतम कृति का अपमान होने से बचाएं। शब्दों के अर्थ के अनर्थ हो जाने से संस्कृति का पतन होने लगता है, इसकी रक्षा सभी भारतवासियों का धर्म है।

परिचय :- डॉ. किरन अवस्थी
सम्प्रति : सेवा निवृत्त लेक्चरर
निवासी : सिलिकॉन सिटी इंदौर (मध्य प्रदेश)
वर्तमान निवासी : मिनियापोलिस, (अमेरिका)
शिक्षा : एम.ए. अंग्रेजी, एम.ए. भाषाविज्ञान, पी.एच.डी. भाषाविज्ञान
सर्टिफिकेट कोर्स : फ़्रेंच व गुजराती।
पुनः मैं अपने देश को बहुत प्यार करती हूं तथा प्रायः देश भक्ति की कविताएं लिखती हूं जो कि समय की‌ मांग भी‌ है। आजकल देशभक्ति लुप्तप्राय हो गई है। इसके पुनर्जागरण के लिए प्रयत्नशील हूं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु  राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈…  राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…🙏🏻.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *