Wednesday, December 18राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

धरती माता क्यों

डॉ. किरन अवस्थी
मिनियापोलिसम (अमेरिका)

********************

पालती है मां
नन्हे शिशु को
गोद बैठाकर
जलपान कराकर,
भोजन देकर
हाथ-पैर चलवाकर
वस्त्र पहनाकर,
अन्नप्राशन करवाकर
गोद उठाकर
घुटने चलवाकर,
उंगली पकड़ाकर
साइकिल चलवाकर
पढ़ना, लिखना सिखलाकर
सभी प्रकार के भोजन से
बालक को बलवान बनाकर
आध्यात्मिकता
के भाव जगाकर
नैतिकता का पाठ पढ़ाकर
पुरुषार्थ का अर्थ समझाकर
नन्हे पादप सम शिशु को
गगनचुंबी वृक्ष बना देती है।

धरतीमाता ही हमको
अपनी गोद बैठाकर
जल, भोजन दे, अन्न उगाकर
कागज, कपड़े दिलवाकर
पवन, ऊर्जा हम तक पहुंचा कर
अपने सीने पर चलना सिखलाकर
हर प्राणी का भार उठाकर
उत्तम संदेशा लाती है
हमको बढ़ना सिखलाती‌ है
मां जैसी इसी शक्ति से धरती
हमको आध्यात्मिकता का
‘परोपकाराय सताम् विभूतय:’ के
(सज्जनों की संपत्ति
परोपकार के लिए होती है)
दिव्यभाव का
नैतिकता का
अनुपम पाठ पढ़ाती है
उत्तुंग शिखर सा
मानव बनने को
प्रेरित करती है।

क्यों न माता
कहलाए वो धरती
जिसने हमको पाला पोसा
जिसने हमको निज
आश्रय दिलवाकर
सुरक्षा का निर्मल भाव परोसा

धरती माता या मदरलैंड
अपनी अपनी भाषा में कहते हैं
हम जन्मे भारत मे
तो ‘भारत माता’ कहते हैं
जिस धरती ने दिया जन्म
उस धरती का उपकार है
यहां खड़े आम, धान के पौधे
यह अपना परिवार हैं
इस धरती के ऋणी बने हम
इसका हम पर कर्ज है
इसके दामन पर आंच न‌ आए
यही हमारा फर्ज है
भारत मां पर‌ लगे दाग को
आतंकवाद के बढ़े भाव को
आमूल मिटाने का‌ प्रण करते हैं
इसको हम‌ भारत माता कहते हैं
इसीलिए धरती माता कहते हैं
इसीलिए भारत माता कहते हैं।।

परिचय :- डॉ. किरन अवस्थी
सम्प्रति : सेवा निवृत्त लेक्चरर
निवासी : सिलिकॉन सिटी इंदौर (मध्य प्रदेश)
वर्तमान निवासी : मिनियापोलिस, (अमेरिका)
शिक्षा : एम.ए. अंग्रेजी, एम.ए. भाषाविज्ञान, पी.एच.डी. भाषाविज्ञान
सर्टिफिकेट कोर्स : फ़्रेंच व गुजराती।
पुनः मैं अपने देश को बहुत प्यार करती हूं तथा प्रायः देश भक्ति की कविताएं लिखती हूं जो कि समय की‌ मांग भी‌ है। आजकल देशभक्ति लुप्तप्राय हो गई है। इसके पुनर्जागरण के लिए प्रयत्नशील हूं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु  राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈…  राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…🙏🏻.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *