अंजनी कुमार चतुर्वेदी
निवाड़ी (मध्य प्रदेश)
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सज-धज कर तैयार हुई है,
होती आज विदाई।
लौट-लौट घर देख रही है,
बेटी हुई पराई।
मुख पर आधा घूँघट डाले,
देख रही भाई को।
तिरछी चितवन से निहारती,
है रोती माई को।
आँसू छुपा, खड़े हैं पापा,
सोच रहे हैं मन में।
विछड़ रही है आज पिता से,
बेटी इस जीवन में।
रोना चाहे रहे हैं नैना,
सागर भर आया है।
आँगन द्वार देहरी छूटी,
छूट रहा साया है।
कर सोलह श्रृंगार जा रही,
आज पिया के अँगना।
नथ, मेहंदी, कुंडल कानों में,
पहन कलाई कँगना।
कभी याद आती बाबुल की,
कभी बहन की आती।
माँ,भैया सँग याद गेह की,
पल-पल बहुत सताती।
छोड़ चली बाबुल का अँगना,
भैया बहना छूटे।
टूट रही रिश्तों की डोरी,
आज धैर्य भी टूटे।
पिया मिलन की बात सोच कर,
मन ही मन मुस्काती।
जिस आँगन में बचपन बीता,
उसे भुला नहिं पाती।
समझाती फिर, अपने मन को,
पिया गेह जाऊँगी।
माता और पिता जैसे ही,
सास- ससुर पाऊँगी।
होगा जब सामीप्य सजन से,
मन बगिया महकेगी।
मन के सूने से उपवन में,
चिड़िया सी चहकेगी।
परिचय :– अंजनी कुमार चतुर्वेदी
निवासी : निवाड़ी (मध्य प्रदेश)
शिक्षा : एम.एस.सी एम.एड स्वर्ण पदक प्राप्त
सम्प्रति : वरिष्ठ व्याख्याता शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय क्रमांक २ निवाड़ी
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
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