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भक्तिमयी नवरात्रि

ललित शर्मा
खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम)
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सिंह पर सवार होकर
जब नवदुर्गा,
शरदऋतु में भक्तों के
घर है आती
भक्तों के हर घर आंगन में
खुशियां खूब महक आती
शारदीय दुर्गोत्सव की बेला
सुहावनी भक्तिमय मधुरिम
आनंदित अंतरिम सुखमय
मङ्गलमयदायक प्रेरणादायक
जीवनगीत संगीत है सुनाती

भक्तों में चाव,
भक्ति का मां चढ़ाती
सजधज कर मां,
नवरात्रि पर आती
आसन पर बैठ देवी मां,
भक्तों में उत्साह उमंग फुर्ती
भक्ति शक्ति की कृपादृष्टि
मां दुर्गा बरसाती

भक्ति की धूम
मां के भक्तों में
मां दुर्गा मचाती
भक्ति भाव की शक्ति से
भक्तिधरा की खिलखिलाहट
भक्तों में नजर आती

अलबेली भक्ति अन्तर्मन में
भक्तवृन्द के मुखारविंद से
मां की भक्ति
खूब नवरात्रि पर है बिखरती
नजर चारो और आती

नवरात्रि पर देवी माँ दुर्गा का
भक्तिभाव से होता जगराता
भक्तों के ह्रदय में। मां दुर्गा की
भक्तिभाव की करता अमृत वर्षा

नवरात्रि पर दीप धूप
भक्तवृन्द जलाते
घर घर भक्तों के
चलकर आओ मैय्या
भक्तवृन्द मां से
नवरात्रि पर अर्जी लगाते

नवदुर्गा के पूजा मंडप में
भक्ति आनंद में डुबाती
विराजमान नो दिन रहकर
दशमी को माँ विदा हो जाती
शारदीय दुर्गोत्सत्व की बेला
मां दुर्गा करती उनको पावन
भक्तिमय करते
ब्रत उपवास में रहते नो दिन

महकता है भक्ति घर आंगन
होती है जब। माँ की विदाई
भक्तों की आंखे आंसुओ से
नम होती थम नहीं पायी

भक्तों की मिलसरिता का
मां लगाती है दरबार
मेला खूब अलबेला होता
भक्तिधरा में महकता है
मां बेटे का प्यार
बेटों की हिम्मत
मां खूब बढ़ाती
पूजा की धूम
करती
दुर्गा पूजा पर
दुर्गा माँ के भक्तिमयी
वातावरण में जनसमूह
शान्ति अमन चैन के
आर्शीवाद पाते

परिचय :- ललित शर्मा
निवासी : खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम)
संप्रति : वरिष्ठ पत्रकार व लेखक
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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