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मतलब के रिश्ते-नाते है

प्रमेशदीप मानिकपुरी
भोथीडीह, धमतरी (छतीसगढ़)
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धन दौलत तक माँ बाप से नाता है
सबल होते ही तोड़े सब से नाता है
अंत मे सब छोड़कर चले जाते है
मतलब के सब रिश्ते और नाते है

दौलत हो तो सब के रिश्तेदार है
गरीब का कब कहाँ कोई यार है
गरीबो से लोग रिश्ते भी छुपाते है
मतलब के सब रिश्ते और नाते है

अपना-अपना सब को कहते है
पर पीड़ा अपने तक ही रहते है
वक्त पड़े कोई साथ नहीं आते है
मतलब के सब रिश्ते और नाते है

लोग आते है और लोग जाते है
जग मे निज-निज धर्म निभाते है
कितने लोग जीवन मे ऐसे आते है
मतलब के सब रिश्ते और नाते है

परिचय :- प्रमेशदीप मानिकपुरी
पिता : श्री लीलूदास मानिकपुरी
जन्म : २५/११/१९७८
निवासी : आमाचानी पोस्ट- भोथीडीह जिला- धमतरी (छतीसगढ़)
संप्रति : शिक्षक
शिक्षा : बी.एस.सी.(बायो),एम ए अंग्रेजी, डी.एल.एड. कम्प्यूटर में पी.जी.डिप्लोमा
रूचि : काव्य लेखन, आलेख लेखन, विभिन्न कार्यक्रम में मंच संचालन, अध्ययन अध्यापन
कार्य स्थल : शासकीय माध्यमिक शाला सांकरा
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।

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