प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला, (मध्य प्रदेश)
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हिम्मत, ताक़त, शौर्य विहँसते,
तीन रंग हर्षाये हैं।
सम्प्रभु हम, जनतंत्र हमारा,
जन-जन तो मुस्काये हैं।।
क़ुर्बानी ने नग़मे गाये,
आज़ादी का वंदन है।
ज़ज़्बातों की बगिया महकी,
राष्ट्रधर्म -अभिनंदन है।।
सत्य,प्रेम और सद्भावों के,
बादलतो नित छाये हैं।
सम्प्रभु हम, जनतंत्र हमारा,
जन-जन तो मुस्काये हैं।।
ज्ञान और विज्ञान की गाथा,
हमने अंतरिक्ष जीता।
सप्त दशक का सफ़र सुहाना,
हर दिन है सुख में बीता।।
कला और साहित्य प्रगतिके,
पैमाने तो भाये हैं।
सम्प्रभु हम, जनतंत्रहमारा,
जन-जन तो मुस्काये हैं।।
शिक्षा और व्यापार मुदितहैं,
उद्योगों की जय-जय है।
अर्थ व्यवस्था, रक्षा, सेना,
मधुर-सुहानी इक लय है।।
गंगा-जमुनी तहज़ीबें हैं,
विश्व गुरू कहलाये हैं।
सम्प्रभु हम, जनतंत्रहमारा,
जन-जन तो मुस्काये हैं।।
जीवन हुआ सुवासित सबका,
जन-गण-मन का गान है।
हमने जो पाया है उस पर,
हम सबको अभिमान है।।
भगतसिंह, आज़ाद, राजगुरु,
विजयगान में आये हैं।
सम्प्रभु हम, जनतंत्र हमारा,
जन-जन तो मुस्काये हैं।।
चारों ओर उजाला बिखरा,
अँधियारा बस्ती छोड़ा।
खुशहाली ने नगर-गाँव को,
अपना तो अब मुँह मोड़ा।।
सूर्यदेव तो रोज़ाना ही,
नव मुस्कानें लाये हैं।
सम्प्रभु हम, जनतंत्र हमारा,
जन-जन तो मुस्काये हैं।।
जन्म : २५-०९-१९६१
निवासी : मंडला, (मध्य प्रदेश)
शिक्षा : एम.ए (इतिहास) (मेरिट होल्डर), एल.एल.बी, पी-एच.डी. (इतिहास)
सम्प्रति : प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष इतिहास/प्रभारी प्राचार्य शासकीय जेएमसी महिला महाविद्यालय
प्रकाशित रचनाएं व गतिविधियां : पांच हज़ार से अधिक फुचकर रचनाएं प्रकाशित
प्रसारण : रेडियो, भोपाल दूरदर्शन, ज़ी-स्माइल, ज़ी टी.वी., स्टार टी.वी., ई.टी.वी., सब-टी.वी., साधना चैनल से प्रसारण।
संपादन : ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं/विशेषांकों का सम्पादन। एम.ए.इतिहास की पुस्तकों का लेखन
सम्मान/अलंकरण/ प्रशस्ति पत्र : देश के लगभग सभी राज्यों में ७०० से अधिक सारस्वत सम्मान/ अवार्ड/ अभिनंदन। म.प्र.साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी अवार्ड (५१०००/ रु.)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।
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