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मानवता

मीना भट्ट “सिद्धार्थ”
जबलपुर (मध्य प्रदेश)
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मानवता हृदय में भरी हो,
सुख की भावना।
गंगा जैसा पावन मन हो ,
उर प्रभु साधना।।

चले धर्म की राह नित्य ही,
विचार कीजिए।
राग-द्वेष से दूर रहें हम ,
सुवास दीजिए।।
दीन दुखी का बने सहारा,
हो शुभ कामना।

शूल पथ में लाख आएँ पर,
तुम मत डोलना।
दोष सारे दूर कर बढ़ना,
कुछ मत बोलना।।
लक्ष्य फिर तुमको मिलेगा प्रभु,
बाँहें थामना।।

राम हिय बसते सदा तेरे,
अमरित पीजिए।
नैनों में मनहर छवि बसती,
दरशन लीजिए।।
जाप लो नित नाम प्रभु होगा,
निश्चय सामना।।

परिचय :- मीना भट्ट “सिद्धार्थ”
निवासी : जबलपुर (मध्य प्रदेश)
पति : पुरुषोत्तम भट्ट
माता : स्व. सुमित्रा पाठक
पिता : स्व. हरि मोहन पाठक
पुत्र : सौरभ भट्ट
पुत्र वधू : डॉ. प्रीति भट्ट
पौत्री : निहिरा, नैनिका
सम्प्रति : सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश (मध्य प्रदेश), लोकायुक्त संभागीय सतर्कता समिति जबलपुर की भूतपूर्व चेयरपर्सन।
प्रकाशित पुस्तक : पंचतंत्र में नारी, काव्यमेध, आहुति, सवैया संग्रह, पंख पसारे पंछी
सम्मान : विक्रमशिला हिंदी विश्वविद्यालय द्वारा, विद्या सागर और साहित्य संगम संस्थान दिल्ली द्वारा, विद्या वाचस्पति की मानद उपाधि, गुंजन कला सदन द्वारा, महिला रत्न अलंकरण तथा कई अन्य साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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