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गणपति बप्पा

अमिता मराठे
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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मम्मा बहुत रो रही थी। उसकी आंखें रोते हुए सूज गई थी। लाल आंखों से सूना पूजा घर देखते ही फफक पड़ती थी।
पापा ने सभी मूर्तियां फोटो एक बेग में भरकर रख दिए थे। उन्हें नदी में विसर्जित करने के लिए गाड़ी बाहर निकालने के लिए चले गये।
मम्मा रोते हुए बोल रही थी, इसमें इन देवी देवताओं का क्या दोष है। भले घर में रहने दो पूजा अर्चना नहीं करेंगे। ऐसा सूना पूजा घर अच्छा नहीं लगता है।
पलट कर पापा ने कहा, सारा दिन देवताओं की कृपा कहना और सही पुरुषार्थ को राम राम कहना। करतबगार बनना, देवो जैसा बनना ये भावनाएं तो बाजू में रह गई, बस सब कुछ भगवान की कृपा कहते इतीश्री करना, ऐसा धंधा किसने कहा। सुनकर भी मैं थक गया हूं।
क्रोध से भरें पापा ने पीछे देखा ही नहीं और गेट की ओर चल पड़े हाथ में झोला था। उसे गाड़ी में रख दिया।
गणेश चतुर्थी के लिए भी चार दिन ही बाकी थे। मम्मा ने पूरी तैयारी कर ली थी। साज सज्जा की सामग्री खरीद ली थी। जिस जगह गणेश जी की मूर्ति स्थापित होने वाली थी, उस स्थान की रंग रोगन हो चुकी थी।
वह डर रही थी, “कही ये सब फेंक दो कहेंगे तो गणेश पूजा की सारी खुशी काफूर हो जायेगी।
हे! भगवान इन्हें इसमें कैसी अंधश्रद्धा दिखाई दे रही है। सारा महौल, पूरा देश गणेश उत्सव की तैयारी में जुटा है। ये कैसे अजीब इंसान हैं।
“मेरे प्यारे प्रभु इन्हें सद्बुद्धि दे” देखो तो तुम्हें झोले में भर कर नदी में डालने जा रहे हैं।” मम्मा मन में अपने बप्पा से बात करते सिसक रही थी।
खीज से भरे पापा ने गेट के बाहर गाड़ी निकाली उसी समय सौम्या को स्कूल बस से ज़ोर-ज़ोर से रोते हुए उतरते देख पापा ने गाड़ी स्टेंड पर लगाकर दौड़ते हुए, प्यारी बिटिया को गोद में उठा लिया।
क्या हुआ? क्यों रो रही हो?
किसने मारा?
“सभी सवालों के जवाब में सौम्या ने अपनी दोनों मुट्ठियों में रखी मिट्टी को दिखाते हुए कहा, “पापा रोहन बहुत गंदा लड़का है। आज स्कूल में गणेश मूर्ति बनाने का वर्कशॉप था। मैंने सुन्दर मूर्ति बनाई थी। उसे टीचर ने पूरी क्लास को दिखाकर तारीफ़ भी की थी। लेकिन रोहन ने चुपके से मेरी गणेश मूर्ति पानी से भरी बाल्टी में डाल दी। मिट्टी पानी से बिखर गयी। हाथ डालकर मैं बस इतनी ही मिट्टी निकाल सकी, पापा नया गणेश जी बनायेंगे। आस्था के साक्षात स्वरूप का रूदन सुनकर पापा ने रुमाल निकालकर सौम्या की आंखें पोंछी।
बस ड्राइवर कहने लगा, मैंने भी बहुत समझाया, दूसरा गणेशजी बना लो, लेकिन आपकी बिटिया का रोना थम ही नहीं रहा है। बहुत गहरी चोट का अनुभव कर रही है। मुस्कराते हुए ड्राईवर चला गया।
देखो सौम्या मैं और तुम्हारी मम्मा गणेश जी बनाने में मदद करेंगे। बगीचे से मिट्टी लायेंगे। फिर उसे मंत्रोच्चार के साथ पूजा घर में स्थापना करेंगे। जो कभी विसर्जित नहीं होंगे। उनके स्थान पर सुपारी फल का विसर्जन करेंगे।

सौम्या का चेहरा पुष्प सा खिल उठा। पापा को गाड़ी गेट के अन्दर लाते हुए सौम्या ने पूछा, “पापा इस झोले में क्या है?
अरे! इसमें तो अपने पूजा घर के देवी देवता रखे हैं।
हां बेटी, “कहते पापा ने मम्मा की ओर देखा।”
जो पूरे परिवर्तित दृश्य को ध्यान से देख रही थी। वह दृश्य पर विश्वास करने की कोशिश में थी कि, उसी समय पापा ने पास में आकर कहा, “सच में कोई अदृश्य शक्ति हैं जिसने मुझे गेट पर रोक दिया। श्रध्दा के बल से पूजा घर के देवी देवता वापस आ गये।”
ध्वनि परिवर्तन, चेहरे की शालीनता, क्षमा का भाव सभी पापा में नज़र आने लगा था।
तीनों ने मिलकर गणेश प्रतिमा बनाई। बहुत सुंदर बनी थी। तीन आत्माओं की आत्मिक शक्ति ने बप्पा के स्वरूप को अनोखा बना दिया था।
सृष्टिकर्ता निराकार है लेकिन उसने अपनी शक्तियां इन देवी देवताओं को सौंप दी है। इनका काम है यथा भक्ति मेरे अन्य भक्त बच्चों को दान करो। जो जैसी भाव श्रद्धा से बप्पा का पूजन करेंगे वैसे उसे गणपति बप्पा की कृपा मिलती है।
मम्मा कह रही थी, पापा गणेश मूर्ति को रंगते हुए स्नेह से सुन रहे थे। सौम्या भी वातावरण में लवलीन हो गई थी।

परिचय :- अमिता मराठे
निवासी : इन्दौर, मध्यप्रदेश
शिक्षण : प्रशिक्षण एम.ए. एल. एल. बी., पी जी डिप्लोमा इन वेल्यू एजुकेशन, अनेक प्रशिक्षण जो दिव्यांग क्षेत्र के लिए आवश्यक है।
वर्तमान में मूक बधिर संगठन द्वारा संचालित आई.डी. बी.ए. की मानद सचिव।
४५ वर्ष पहले मूक बधिर महिलाओं व अन्य महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए आकांक्षा व्यवसाय केंद्र की स्थापना की। आपका एकमात्र यही ध्येय था कि महिलाओं को सशक्त बनाया जा सके। अब तक आपके इंस्टिट्यूट से हजारों महिलाएं सशक्त हो चुकी हैं और खुद का व्यवसाय कर रही हैं।
शपथ : मैं आगे भी आना महिला शक्ति के लिए कार्य करती रहूंगी।
प्रकाशन :
१ जीवन मूल्यों के प्रेरक प्रसंग
२ नई दिशा
३ मनोगत लघुकथा संग्रह अन्य पत्र पत्रिकाओं एवं पुस्तकों में कहानी, लघुकथा, संस्मरण, निबंध, आलेख कविताएं प्रकाशित राष्ट्रीय साहित्यिक संस्था जलधारा में सक्रिय।
सम्मान :
* मानव कल्याण सम्मान, नई दिल्ली
* मालव शिक्षा समिति की ओर से सम्मानित
* श्रेष्ठ शिक्षक सम्मान
* मध्यप्रदेश बधिर महिला संघ की ओर से सम्मानित
* लेखन के क्षेत्र में अनेक सम्मान पत्र
* साहित्यकारों की श्रेणी में सम्मानित आदि
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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