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कुछ संकल्प कुदरत के नाम …

अमिता मराठे
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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भोर के साथ ही हमारे कर्म प्रारंभ हो जाते हैं। इतनी व्यस्त और विशिष्ट जिन्दगी की गति कैसे दिन रात गुजार लेती है, इसकी सुध लेने की भी फुर्सत नहीं होती। लेकिन विचारणीय है कि जो काम हम कर रहे उसका प्रभाव पर्यावरण पर कैसा डाल रहे हैं। हमारी गतिविधियां ही पर्यावरण के प्रति हमारी सोच को दर्शाती है।
उम्मीदों से भरे इस नववर्ष में हर कोई संकल्प लेता है लेकिन हम उन बातों को नजर अंदाज कर जाते हैं, जो हमारे लिए सबसे जरूरी है।कुदरत जो प्राणवायु से लेकर हर जरूरतों को पूरा करता है। उसके लिए हमें इस वर्ष भी नया संकल्प लेना चाहिए। जैसे प्लास्टिक का उपयोग या जीवाष्म ईंधन का उपयोग न हो। हमें यह जिम्मेदारी लेनी चाहिए कि हमारी वजह से पर्यावरण को कोई नुक़सान न हो। पानी और ऊर्जा की बचत करें। गंदगी एवं कचरा स्वयं की ओर से कहीं न डालें। नियमों के मुताबिक चर्या रहे।
असमान संसाधनों के आवंटन जैसी बुराइयां भी पर्यावरण संरक्षण की राह में बहुत बड़ी बाधा है। इसके अलावा उद्योग धंधे से निकलने वाला धुआं और राजमार्गों के निर्माण में कटने वाले पेड़ों की भरपाई में बरसों लग जाते हैं। इसलिए ऐसी नीति बनाई जायें ताकि निर्माण करतें समय प्रकृति के साथ छेड़छाड़ न हो।
स्वच्छ हवा, पानी और मिट्टी हमारे जीवन के जरूरी तत्व है। इनकी अनदेखी ही पर्यावरण खतरों के रूप में हमारे सामने आती है। नये वर्ष में संकल्प लें कि जानकारी और शोध रिपोर्ट के जरिए इनके संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करेंगे। हवा, पानी, मिट्टी को शुद्ध रखने का प्रयास करेंगे।
परिवार को लेकर प्रकृति के साथ समय बिताने से सहज ही माँ के स्नेह का और बालक के प्रति वात्सल्य सा भाव मन में जागृत होगा। प्रकृति संरक्षण की उत्कट इच्छा की प्रवृत्ति से शुद्ध हवा में सेहतमंद रहेंगे और प्रकृति प्रेम में वृध्दि होगी । कोरोना जैसी महामारी से बचने का प्रयास तभी सफल होगा जब हम सब मिलकर कुछ सार्थक संकल्प कुदरत के नाम निरन्तर करते, जागे भी और जगाने का कार्य करते रहे।

परिचय :- अमिता मराठे
निवासी : इन्दौर, मध्यप्रदेश
शिक्षण : प्रशिक्षण एम.ए. एल. एल. बी., पी जी डिप्लोमा इन वेल्यू एजुकेशन, अनेक प्रशिक्षण जो दिव्यांग क्षेत्र के लिए आवश्यक है।
वर्तमान में मूक बधिर संगठन द्वारा संचालित आई.डी. बी.ए. की मानद सचिव।
४५ वर्ष पहले मूक बधिर महिलाओं व अन्य महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए आकांक्षा व्यवसाय केंद्र की स्थापना की। आपका एकमात्र यही ध्येय था कि महिलाओं को सशक्त बनाया जा सके। अब तक आपके इंस्टिट्यूट से हजारों महिलाएं सशक्त हो चुकी हैं और खुद का व्यवसाय कर रही हैं।
शपथ : मैं आगे भी आना महिला शक्ति के लिए कार्य करती रहूंगी।
प्रकाशन :
१ जीवन मूल्यों के प्रेरक प्रसंग
२ नई दिशा
३ मनोगत लघुकथा संग्रह अन्य पत्र पत्रिकाओं एवं पुस्तकों में कहानी, लघुकथा, संस्मरण, निबंध, आलेख कविताएं प्रकाशित राष्ट्रीय साहित्यिक संस्था जलधारा में सक्रिय।
सम्मान :
* मानव कल्याण सम्मान, नई दिल्ली
* मालव शिक्षा समिति की ओर से सम्मानित
* श्रेष्ठ शिक्षक सम्मान
* मध्यप्रदेश बधिर महिला संघ की ओर से सम्मानित
* लेखन के क्षेत्र में अनेक सम्मान पत्र
* साहित्यकारों की श्रेणी में सम्मानित आदि
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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