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वज़न

रंजना श्रीवास्तव
नागपुर (महाराष्ट्र)
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सही को सही और
ग़लत को ग़लत कहने की
हिम्मत रखती हूँ,
हवाओं के विपरीत चलने का
जिगर रखती हूँ,
इसलिए
मैं भीड़ में अलग दिखती हूँ।
खटकता है मेरा आत्मविश्वास
और
तड़पाती है मेरी
ईमानदारी व सच्चाई,
नहीं करने देती मनमानी।
रोड़ा बन जाता है मेरा हुनर,
परेशान करती है
लोगों के बीच मेरी पहचान।
हाँ !!
अकेली ही स्वयं में पर्याप्त हूँ।
भीतर बसा हुआ है मेरे
भरा पूरा ज़माना।
दिल से खिलखिलाती हूँ,
बाँटती हूँ मुस्कुराहटें और खुशियाँ,
पहचानते हैं कुछ काबिल लोग
मेरी काबिलियत को।
बस यही…
बुरा लगता है कौरवों को
और शकुनि के साथ मिलकर
रचने लगते हैं चक्रव्यूह।
स्वयं में कितने कमजोर हैं!!
पैने झूठे वारों से
खत्म कर देना चाहते हैं मिलकर
मेरे आत्मविश्वास को, मेरे वजूद को।
चतुरंगिणी सेना घेर लेती है
चारों ओर से मुझे।
अक्सर…
न केवल मुझे
बल्कि
मेरे हमकदम
मित्रों को भी सताकर
खुश होते हैं।
ठहाके लगाते हैं अपनी जीत पर।
जानती हूँ,
शकुनि बन बैठा है
उनका पार्थिव गॉडफादर,
जिसके बिना उनका
वजूद कुछ भी नहीं।
पर,
मैं किशोर अभिमन्यु नहीं
अनुभवी कुशल
परिपक्व अभिमन्यु हूँ
और
परिचित हूँ
चक्रव्यूह भेदन की
सम्पूर्ण कला से।
ब्रह्माण्डीय ऊर्जा करती है
मुझे और मेरे
विचारों को संचालित।
कौरवों !!
इतिहास से सबक
नहीं लिया तुमने?
या पुनः
इतिहास दोहराना चाहते हो?
तो सुनो !!
स्वीकारती हूँ
आज इस बात को कि
हाँ !! कोई शकुनि
मेरा गॉडफादर नहीं है
क्योंकि मेरी सुरक्षा करती है
वह शक्ति
जिसके बदले तुमने चुनी थी
चतुरंगिणी सेना।
वह शक्ति है…
परमपिता परमात्मा,
अपार्थिव गॉड, परमशक्ति।
अब वज़न कर लो
सेना और केशव का !!

परिचय : रंजना श्रीवास्तव
निवासी : नागपुर (महाराष्ट्र)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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