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मेरी कल्पना से

संजय कुमार नेमा
भोपाल (मध्य प्रदेश)

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मेरी कल्पना से,
प्रभु तुम्हारी,
छवि बनाता रहूं।
प्रभात वंदना में
तुम्हारे दर्शनों को
करता रहूं।
सुमिरन कर
चिंताओं को,
प्रभु चरणों में रखता।
प्रभु भक्ति में तुम्हारी
नित, नई छवि बनाता।
कल्पनाओं में डूबा,
नए-नए विचारों को रखता।
भक्ति से अपनी
अरज को लगाता।
तेरी कल्पनाओं में
प्रभु दर्शन को पाता।
कभी छलिया तो
भोले भंडारी कहता।
इसी बहाने कल्पनाओं
में प्रभु दर्शन करता।
प्रभु दर्शन में नित
नित सुंदर छवि बनाता।
मांगू यही, मेरी
कल्पनाओं में
दर्शन देते रहना।
प्रभु कृपा
बनाए रखना।
दिल मैं छवि
बनाए रखना।

परिचय :- संजय कुमार नेमा
निवासी : भोपाल (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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