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माँ मानसरोवर

विवेक नीमा
देवास (मध्य प्रदेश)

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माँ मानसरोवर, ऋषिकेश,
माँ हरिद्वार, माँ संगम है
माँ मंदिर मस्जिद गुरुद्वारे का
एक दृश्य विहंगम है।

माँ आशा, अभिलाषा, उम्मीदें,
माँ प्रेम का बहता सागर है
माँ ममता, करुणा, आदर की
एक छलकती गागर है।

माँ शक्ति, भक्ति, अभिव्यक्ति,
माँ ही गौरव गाथा है
माँ ही तो हर संतति की
बनती भाग्य विधाता है।

माँ चंदा की चाँदनी,
माँ ही सूरज का ताप है
माँ व्याकुल मन को सहलाती
लोरी,राग, आलाप है।

माँ सागर से भी गहरी है,
माँ पर्वत सी विशाल है
माँ के आशीषों से ही तो
ऊँचा सबका भाल है ।

माँ ही शीतल फुहार है,
माँ ही धूप और धाम है
माँ के चरणों में ही तो
बसते चारों धाम है।

माँ से ही सब खुशियाँ हैं,
माँ से ही सारे सपने हैं
माँ से ही तो जीवन में
होते रिश्ते सारे अपने हैं।

माँ ही चोट पर मरहम है,
माँ हर उलझन का हल है
माँ से ही तो आज बना और
बना स्वर्णिम कल है।

माँ से ही पालन-पोषण है,
माँ से ही प्यार दुलार है
माँ की उँगली को पकड़े
चलना सीखा संसार है।

माँ बिन सूना जीवन है,
माँ बिन जगत वीरान है
माँ की दुआओं से ही होती
हर मुश्किल आसान है।

माँ तू ही भाग्य व कर्म मेरा,
माँ ही माथे का चंदन है।।
माँ ही जीवन का सृजन करे,
माँ तुझको मेरा वंदन है।

परिचय : विवेक नीमा
निवासी : देवास (मध्य प्रदेश)
शिक्षा : बी कॉम, बी.ए, एम ए (जनसंचार), एम.ए. (हिंदी साहित्य), पी.जी.डी.एफ.एम
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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