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ऐ नारी

कुंदन पांडेय
रीवा (मध्य प्रदेश)

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मेरा विचार है ऐ नारी,
अपना परचम लहराना तुम।

पथ के इन कंकड़ पत्थर से,
क्षण भर भी ना कतराना तुम।

हर कदम बढ़ाने से पहले,
अपने सुविचार बढ़ाना तुम।

मेरा विचार है ऐ नारी,
अपना परचम लहराना तुम।

कथनी करनी सब अपनी हो,
सत मार्ग वही अपना ना तुम।

कोई मिटा सके ना हल्के से,
ऐसे निशान दे जाना तुम।

मेरा विचार है ऐ नारी,
अपना परचम लहराना तुम।

अपनी ही करुण क्यारियों में,
खुद पुष्प सुमन बन जाना तुम।

हिंसक पशुओं से बचने को,
खुद कांटे भी दिखलाना तुम।

मेरा विचार है ऐ नारी,
अपना परचम लहराना तुम।

परिचय :-  कुंदन पांडेय
निवासी : रीवा (मध्य प्रदेश)
उद्घोषणा : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।

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