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कृतज्ञ धरती

डॉ. किरन अवस्थी
मिनियापोलिसम (अमेरिका)

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अथाह जलराशि से
तर होकर,
कृतज्ञ यह धरती
सम्पूर्ण हृदय से
गदगद होकर,
रचनाकार की
स्तुति करती
जो ईश्वर का
वरदान न होता,
तो मै प्यासी
तिल-तिल मरती।
कैसे तुम्हारी
इस रचना का,
माँ बन मैं
पालन करती।
कैसे ममता
बिखरी होती,
कैसे समता
के रस से
तेरी इस
कृति को
सम्पूर्ण
समर्पण देती।

परिचय :- डॉ. किरन अवस्थी
सम्प्रति : सेवा निवृत्त लेक्चरर
निवासी : सिलिकॉन सिटी इंदौर (मध्य प्रदेश)
वर्तमान निवासी : मिनियापोलिस, (अमेरिका)
शिक्षा : एम.ए. अंग्रेजी, एम.ए. भाषाविज्ञान, पी.एच.डी. भाषाविज्ञान
सर्टिफिकेट कोर्स : फ़्रेंच व गुजराती।
पुनः मैं अपने देश को बहुत प्यार करती हूं तथा प्रायः देश भक्ति की कविताएं लिखती हूं जो कि समय की‌ मांग भी‌ है। आजकल देशभक्ति लुप्तप्राय हो गई है। इसके पुनर्जागरण के लिए प्रयत्नशील हूं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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