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लफंगे यार

राजेन्द्र लाहिरी
पामगढ़ (छत्तीसगढ़)
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वो लफंगे यार,
जिनसे मिला
मुझे बेइंतहां प्यार,
बचपन में
साथ खिलाया,
जिंदगी में कैसे
चलना है बताया,
भरोसा तोड़े बिना
मुझ पर
भरोसा जताया,
अपनों के प्रति
कैसे सजग रहना है
गाली खा-खा
कर सिखाया,
गाली मेरे अपनों
ने ही दिया,
यारी के लिए
कड़वे शब्दों का
घूंट पीया,
मेरे बेमकसद
जिंदगी में
बदलाव लाया,
समाज संग
अम्बेडकरी
मूवमेंट सीखाया,
अपने महापुरुषों
से मिलाया,
हर इंसान में
अच्छाई के साथ
बुराई भी होता है,
वो मेरा यार है और रहेगा
फर्क नहीं पड़ता मुझे कि
कोई उन्हें लफंगा कह रोता है।

परिचय :-  राजेन्द्र लाहिरी
निवासी : पामगढ़ (छत्तीसगढ़)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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