Thursday, November 21राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

डमरू घनाक्षरी

गिरेन्द्रसिंह भदौरिया “प्राण”
इन्दौर (मध्य प्रदेश) 

********************

(डमरू घनाक्षरी)
*********
डमरू घनाक्षरी के प्रत्येक चरण में ८+८+८+८= लघु मात्राओं वाले कुल ३२ वर्ण ही होते हैं। कुछ तथाकथित छन्द विशेषज्ञों ने लघु वर्ण को अमात्रिक वर्ण कहा है जो हर तरह से ग़लत व भ्रामक है। “कमल” शब्द को अमात्रिक वर्णों का समूह नहीं कहा जा सकता है। इन सब में “अ” की मात्रा है। इसी प्रकार मात्र हर अकारान्त को ही लघु नहीं माना जायेगा अपितु हर इकारान्त उकारान्त ऋकारान्त वर्ण को भी लघु वर्ण माना जायेगा। नीचे मेरे द्वारा रचित तीनों डमरू घनाक्षरियाँ हैं। इनमें पहली अकारान्त लघु व दूसरी अकारान्त‌, इकारान्त, उकारान्त लघु एवं तीसरी अकारान्त वर्णों में हैं। पहली में हिन्दी की व शेष दो में ब्रज, अवधी बुन्देली की क्रियाएँ प्रयोग की गई हैं। हाँ एक बात और कि हर रचना सार्थक होना चाहिए चाहिए।

 

एक सखी दूसरी से
==========

चटक – मटक पट पहन पलट लट,
मटक – मटक पग धर मत हलकट।

लटक – झटक मत चल हट झटपट,
लमक – लमक कर डग भर सरपट।।

डर मत लख कर तट पर जमघट,
अटक – भटक मत फटक मगर डट,

जठर कमर पर धर घट झटपट,
जल भर कर घर चल तज पनघट।।

लहर – लहर मन मदिर – मदिर तन,
विषम डगर पर कदम सडर धर।

सुमन सरिस मुख निरख सजनि रुख,
इधर – उधर लख सजन अधर धर।।

कथन कहति अति सरस सजन सुन,
बदन मदन रति गति हर रसधर।।

मन – मरुथल तन तपन शमन कर,
खुलकर बरस – बरस वन जलधर।।

गरजत – बरसत, झरत गगन घन,
घनन – घनन घन, घन नन नन नन।

पसरत – बिखरत, चलत पवन वन,
सनन – सनन सन, सन नन नन नन।।

लखत सजन घर, करन लगत कर,
खनन खनन खन, खन नन नन नन,

उछलत – मचलत, धरत करत पग,
छनन – छनन छन, छन नन नन नन।।

परिचय :- गिरेन्द्रसिंह भदौरिया “प्राण”
निवासी : इन्दौर (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय  हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…🙏🏻.

1 Comment

  • नरेंद्र सिंह

    वर्षा आगमन

    उमड़त घुमड़त,चमकत गरजत,
    घहरत हहरत,नभ घन ठनकत।

    रह रह कड़कत,झम झम बरसत,
    दिनकर तड़पत,छिपकर तरसत।

    कृषि जन हुलसत,तन मन फड़कत,
    गृह तज निकलत,कृषि हेतु छड़पत।

    जन जन बिहँसत,पुलकित मचलत,
    नद सर उफनत,कल कल छलकत।
    नरेंद्र सिंह,मोहनपुर,अत्तरी ,गया,बिहार
    15.05.2024

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *