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दुखों का आना …

प्रमेशदीप मानिकपुरी
भोथीडीह, धमतरी (छतीसगढ़)
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सुख-दुख दोनों हमारे आसपास है
दोनों ही इस जग मे बहुत खास है
आगे पीछे आना इसकी आदत है
दुखों का आना उसकी इनायत है

आना जाना जब पहले से तय है
हर गम के लिए पहले से सज्य है
सुख-दुख भी उसी की महोब्बत है
दुखों का आना उसकी इनायत है

सुख-दुख दोनों ही करनी फल है
इस सम रहकर सहना ही हल है
सहने की अब तो बनानी आदत है
दुखों का आना उसकी इनायत है

गम की बदली भी छायेगी कभी
बसंत से बहार भी आयेगी कभी
एकदूजे के पीछे आने की आदत है
दुखों का आना उसकी इनायत है

सुख-दुख मे सम रहकर जीते है
दोनों ही अच्छे है सहकर जीते है
जो आता, उसे जाने की आदत है
दुखों का आना उसकी इनायत है

परिचय :- प्रमेशदीप मानिकपुरी
पिता : श्री लीलूदास मानिकपुरी
जन्म : २५/११/१९७८
निवासी : आमाचानी पोस्ट- भोथीडीह जिला- धमतरी (छतीसगढ़)
संप्रति : शिक्षक
शिक्षा : बी.एस.सी.(बायो),एम ए अंग्रेजी, डी.एल.एड. कम्प्यूटर में पी.जी.डिप्लोमा
रूचि : काव्य लेखन, आलेख लेखन, विभिन्न कार्यक्रम में मंच संचालन, अध्ययन अध्यापन
कार्य स्थल : शासकीय माध्यमिक शाला सांकरा
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।

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