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पगडंडी मत चलो

मालती खलतकर
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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राह छोड़ पगडंडी मत चलो
पगडंडी आगे सकरी हो जावेगी
जिंदगी में डरो ना किसी से
जिंदगी शर्मसार हो जावेगी।
समय समर में समीर
कड़वाहट भरी होगी
कटु घूंट पीकर तुम
फिर मिठास घोलोगी
करो प्रतिज्ञा मन में
कोई सुने ना सुने
कोई रुलाए चाहे जितना
तुम्हें हंसी हंसना होगी।
है हर कदम पर चोट,
हर कदम पर कसोटी
रत को चलना, रत हो गाना।
जीवन की यह बानी होगी
होगा कोई अपने में ही
उलाहना देने वाला
कदम दर कदम कचोटेगा
मन कुछ गलत करने वाला।।

परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मैं प्रकाशित होते हैं आप सन १९६८ से इंदौर के लेखक संघ रचना संघ से जुड़ी आप शासकीय सेवा से निमृत हैं पीछेले ३० वर्षों से धार के कवियों के साथ शिरकत करती रही आकाशवाणी इंदौर से भी रचनाएं प्रसारित होती रहती हैं व वर्तमान में इंदौर लेखिका संघ से जुड़ी हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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