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रंग बिरंगा उपहार

सुधीर श्रीवास्तव
बड़गाँव, गोण्डा, (उत्तर प्रदेश)
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अभी-अभी पाकिस्तानी प्रधानमंत्री
शहबाज शरीफ का फोन मेरे पास आया
मैंने बड़ी इज्जत से फोन उठाया
प्यार से फरमाया
क्या हाल है भाया
जल्दी बोलो फोन क्यों मिलाया?
शहबाज शरीफ तो जैसे रो पड़े
क्या बताऊं जनाब
हमारे देश की हालत आप से छिपी है क्या?
और क्या बताऊं?
लोग भूखों मरने लगे हैं
दुनिया भीख देने को तैयार नहीं है
आपका पुराना दोस्त कटोरा खान
सिर पर चढ़ता जा रहा है,
कटोरा संस्कृति हमारी
नस -नस में ढकेल चुका है
हमने भी उसका अनुसरण किया
पर औंधे मुंह गिर पड़ा।
अब मेरा हाल इधर खाई उधर कुंए जैसी है
भाई लंदन में मजे कर रहा है
भतीजी यहां नाक में दम किए है
सारी समस्या की जड़ मुझे बता रही हैं।
कुछ समझ में नहीं आता
अब आप ही कोई राह दिखाइए
मेरा ही नहीं पाकिस्तान का भी
बेड़ा गर्क होने से बचाइए।
मैं बीच में ही बोल पड़ा
मगर मैं कोई राजनीतिज्ञ तो हूं नहीं
जो आप मुझसे सलाह मांगी रहे हैं
राजनीति की बात कूटनीतिक से
मुझे समझाने की चाल चल रहे हैं।
मेरी सलाह मानिए
आप मोदी जी की शरण में जाइए
उनके पास हर समस्या का समाधान है
आज की तारीख में वे ही सबके भगवान हैं।
वैसे मेरी समझ से आपकी समस्या का
अत्यंत सरल समाधान है।
बस कश्मीर राग गाना बंद कर दो,
अपने कब्जे का कश्मीर
तश्तरी में सजाकर भारत को दे दो
आतंकवाद से तौबा कर लो
मोदी जी के कदमों में सिर रख दो
तुम्हारे सलाहकार किसी काम के तो हैं नहीं
दो चार सलाहकार मोदी जी से उधार ले लो
चाहो तो वित्त, गृह, रक्षामंत्री भी मांग लो
मोदी जी किसी को भूखा नहीं मरने देंगे
ये वादा मुझसे ले लो।
घमंड छोड़ भारत के शरणागत हो जाओ
कुर्सी के साथ साथ अपना देश बचाओ।
फिर तुम्हारा ही नहीं पाकिस्तान का भी
परम कल्याण हो जायेगा।
आज तुम्हारा देश मोदी-मोदी कर रहा
तुम इतना नासमझ तो नहीं हो यार
जो आमजन की आवाज नहीं सुन पा रहे हो
उनकी आवाज़ उनके अंतर्रात्मा की आवाज है
बस एक बार उसे स्वीकार कर लो
मोदी जी की छाया में आकर
अपना और पाकिस्तान का भविष्य संवार लो।
होली करीब है, इसका लाभ उठाओ
पाकिस्तानी चेहरों पर कालिख लगे
उससे पहले मोदी जी से इतना रंग गुलाल ले लो।
बुरा न मानो छोटे शरीफ अभी भी वक्त है
ऐसा न है कहीं देर न हो जाए
मौका भी है और दस्तूर भी
होली के मौके पर भारत से
ये रंग बिरंगा उपहार ले लो
पाकिस्तानी घायल नाक को
चाहो तो कटने बचा लो।

परिचय :- सुधीर श्रीवास्तव
जन्मतिथि : ०१/०७/१९६९
शिक्षा : स्नातक, आई.टी.आई., पत्रकारिता प्रशिक्षण (पत्राचार)
पिता : स्व.श्री ज्ञानप्रकाश श्रीवास्तव
माता : स्व.विमला देवी
धर्मपत्नी : अंजू श्रीवास्तव
पुत्री : संस्कृति, गरिमा
संप्रति : निजी कार्य
विशेष : अधीक्षक (दैनिक कार्यक्रम) साहित्य संगम संस्थान असम इकाई।
रा.उपाध्यक्ष : साहित्यिक आस्था मंच्, रा.मीडिया प्रभारी-हिंददेश परिवार
सलाहकार : हिंंददेश पत्रिका (पा.)
संयोजक : हिंददेश परिवार(एनजीओ) -हिंददेश लाइव -हिंददेश रक्तमंडली
संरक्षक : लफ्जों का कमाल (व्हाट्सएप पटल)
निवास : गोण्डा (उ.प्र.)
साहित्यिक गतिविधियाँ : १९८५ से विभिन्न विधाओं की रचनाएं कहानियां, लघुकथाएं, हाइकू, कविताएं, लेख, परिचर्चा, पुस्तक समीक्षा आदि १५० से अधिक स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर की पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित। दो दर्जन से अधिक कहानी, कविता, लघुकथा संकलनों में रचनाओं का प्रकाशन, कुछेक प्रकाश्य। अनेक पत्र पत्रिकाओं, काव्य संकलनों, ई-बुक काव्य संकलनों व पत्र पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल्स, ब्लॉगस, बेवसाइटस में रचनाओं का प्रकाशन जारी।अब तक ७५० से अधिक रचनाओं का प्रकाशन, सतत जारी। अनेक पटलों पर काव्य पाठ अनवरत जारी।
सम्मान : विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं द्वारा ४५० से अधिक सम्मान पत्र। विभिन्न पटलों की काव्य गोष्ठियों में अध्यक्षता करने का अवसर भी मिला। साहित्य संगम संस्थान द्वारा ‘संगम शिरोमणि’सम्मान, जैन (संभाव्य) विश्वविद्यालय बेंगलुरु द्वारा बेवनार हेतु सम्मान पत्र।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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