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कालो के काल महाकाल

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया
भोपाल (मध्यप्रदेश)

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कालो के काल महाकाल
शिव भोला महान महाकाल
महिमा अपरंपार।
आज महाशिवरात्रि आई।
संग अपने अति उल्लास उमंग लाई।
भारत-भू पर शिव भोले अवतरित हुए।
हम सब भारतीयों के उर अपार हर्षाए।

जन-जन के घट-घट में शिव समाए।
हर भक्त शिव भोले।
ओम नमः शिवाय की रट लगावे।
सबही भक्त भोर से रात्रि तक।
शिव भोले का जाप करें।

शिव भोले भक्तों का कष्ट हरे।
हर पल शिव भोले को सम्मुख पावे।
सकल भारत वायुमंडल शिवमय बनावै।
मंदिर-मंदिर, घर-घर घंटा-घंटी ध्वनि बाजे।

शिव भजन-कीर्तन कर्णप्रिय मन भावे।
भांग, धतूरा, आंकड़ा, बेलपत्र।
दूध भक्त चढ़ावे।
शिव भोले भक्तों के लिए संदेशा लाए।

सभी भक्त अपने अंतस भरे।
काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार।
विकार तज विकारमुक्त पावन।
जीवन बना, शिव भोले को पावे।

परिचय :- श्रीमती संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया
निवासी : भोपाल (मध्यप्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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