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उपवन

गायत्री ठाकुर “सक्षम”
नरसिंहपुर, (मध्य प्रदेश)
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चलो आज उपवन चलते हैं,
चल कर फूलों से मिलते हैं।
देखेंगे हम रंग बिरंगी क्यारी,
शोभा रहती है हरदम न्यारी।

लाल रंग का बच्चो ये गुलाब,
देखो कितना उस पर शबाब।
हर पल कांटो के साथ रहता,
फिर भी महका करता गुलाब।

यह है सूरजमुखी का फूल,
इसको कभी न जाना भूल।
सूर्योदय के साथ ही उगता,
सूर्य की तरफ ही मुँह रहता।

नारंगी रंग का यह एक गेंदा,
लगता बच्चो कितना सुंदर।
अलग बनावट के इनके पत्ते,
हरा पीला रंग छुपाये हैं अंदर।

परिचय :- गायत्री ठाकुर “सक्षम”
निवासी : नरसिंहपुर (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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